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Constable Murder Case: पूर्व सांसद उमाकांत यादव समेत सात को उम्रकैद की सजा, 27 साल पुराने सिपाही हत्याकांड में दोषी करार

Constable Murder Case: जौनपुर की एक स्थानीय अदालत ने 27 साल पुराने राजकीय रेलवे पुलिस (GRP) के सिपाही की हत्या और तीन अन्य की हत्या के प्रयास के मामले में पूर्व सांसद उमाकांत यादव को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

Edited By: Swayam Prakash @@SwayamNiranjan
Published on: August 08, 2022 20:40 IST
Former MP Umakant Yadav- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO Former MP Umakant Yadav

Highlights

  • सिपाही की हत्या मामले में पूर्व सांसद को सजा
  • उमाकांत यादव समेत 7 को आजीवन कारावास
  • जीआरपी सिपाही अजय सिंह की हत्या का है केस

Constable Murder Case: जौनपुर की एक स्थानीय अदालत ने 27 साल पुराने राजकीय रेलवे पुलिस (GRP) के सिपाही की हत्या और तीन अन्य की हत्या के प्रयास के मामले में पूर्व सांसद उमाकांत यादव को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। जौनपुर की एक स्थानीय अदालत ने GRP के सिपाही हत्याकांड में मछली शहर लोकसभा क्षेत्र के पूर्व सांसद उमाकांत यादव सहित सात लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। 

अदालत ने इन धाराओं के तहत सुनाई सजा

ज़िला शासकीय अधिवक्ता अनिल सिंह ने बताया कि जौनपुर के अपर जिला सत्र न्यायाधीश शरद चन्द्र त्रिपाठी ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद सोमवार को यह फैसला सुनाया। अदालत ने इस मामले में पूर्व सांसद समेत सात लोगों को आरोपी मानते हुए शनिवार को दोष सिद्ध किया था। उन्होंने बताया कि अपर जिला सत्र न्यायाधीश शरद चन्द्र त्रिपाठी ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद यह फैसला सुनाया। उन्होंने विशेष न्यायाधीश एमपी एमएलए अदालत, जौनपुर मे विचाराधीन प्रकरण राज्य बनाम उमाकांत यादव और अन्य के खिलाफ भादंवि की धारा 147, 148, 149, 332, 333, 324, 325, 427, 307, 302 और फौजदारी कानून की धाराओं के तहत यह सजा सुनाई। 

पूर्व सांसद और अन्य लोगों को आजीवन कारावास
न्यायालय ने अभियुक्त पूर्व सांसद उमाकांत यादव, बच्चू लाल यादव, राजकुमार, धर्मराज, सूबेदार और महेंद्र प्रसाद वर्मा और सभाजीत पाल को दोषी करार दिया। अभियुक्त उमाकांत यादव को और बच्चू लाल यादव, राजकुमार, धर्मराज, सूबेदार, महेंद्र प्रसाद वर्मा और सभाजीत पाल को धारा 302 में आजीवन कारावास, धारा 307 में 10 साल का कारावास, धारा 337 में पांच साल कैद, धारा 148 में दो साल का कारावास और धारा 427 में एक साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई। अदालत ने इस मामले में दोषियों पर जुर्माना भी लगाया है। उन्होंने बताया कि अभियोजन पक्ष की तरफ से कुल 19 गवाहों को पेश किया गया। मामले की विवेचना सीबीसीआईडी द्वारा की गई। 

क्या है 27 साल पुराना सिपाही हत्याकांड 
ग़ौरतलब है कि फरवरी 1995 में जौनपुर के शाहगंज जीआरपी लॉकअप में बंद राजकुमार यादव को छुड़ाने के दौरान सिपाही अजय सिंह की हत्या कर दी गई थी। इस घटना में एक अन्य सिपाही लल्लन सिंह, रेल कर्मचारी निर्मल वाटसन और रेल यात्री भारत लाल गोलीबारी में घायल हो गए थे। शाहगंज जीआरपी में तैनात सिपाही रघुनाथ सिंह ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी कि फरवरी 1995 में दो बजे राइफल और रिवाल्वर से लैस होकर आरोपी उमाकांत यादव अपने सहयोगियों के साथ जीआरपी चौकी आए। उमाकांत ने लॉकअप में बंद राजकुमार यादव को जबरन छुड़ाने का प्रयास किया। 

एफआईआर के मुताबिक इस दौरान हमलावर पक्ष की तरफ से अंधाधुंध फायरिंग की गई जिसमें कांस्टेबल अजय सिंह की मौत हो गई थी जबकि सिपाही लल्लन सिंह, रेलकर्मी निर्मल वाटसन और रेल यात्री भारत घायल हुए थे। इस मामले में पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की जिसमें पूर्व सांसद समेत सात लोगों को आरोपी बनाया गया था। इस मामले में पत्रावली एमपी एमएलए अदालत में हस्तांतरित की गई थी। बाद में इसको हाईकोर्ट के निर्देश पर दीवानी न्यायालय जौनपुर में स्थानांतरित किया गया।

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