Highlights
- 12 ज्योतिर्लिंग और 51 सिद्धपीठों के पुजारी भी कार्यक्रम में होंगे शामिल
- पीएम के लोकार्पण के समय अमित शाह सोमनाथ में रहेंगे मौजूद
- बाकी ज्योतिर्लिंगों में भी केंद्रीय मंत्री और सीएम रहेंगे मौजूद
वाराणसी: आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी में देश को काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की सौगात देंगे तो काशीवासी भी आज पीएम को सौगात देने वाले हैं। लोकार्पण समारोह में पीएम मोदी को काशी के ज़रदोज़ी कारीगर मुमताज़ अली के बनाए रेशमी अंगवस्त्रम भेंटकर स्वागत किया जाएगा। इस अंगवस्त्रम में 24 पंचमुखी रुद्राक्ष का इस्तेमाल किया गया है। पीएम को भेंट करने के लिए एक विशेष त्रिशूल तैयार किया गया है। वाराणसी के काशीपुरा के तीन कलाकारों ने मिलकर तीन फीट छह इंच लंबा मेटल रिपोजी क्राफ्ट का ये त्रिशूल तैयार किया है इसमें चार नाग की आकृति बनाई गई है। बता दें कि आज देश के दूसरे बड़े शिव धामों पर भी दिव्य काशी, भव्य काशी कार्यक्रम का आयोजन होने वाला है। पीएम मोदी यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ जब काशी विश्वनाथ धाम में होंगे तो कहां कौन ही हस्ती बाबा भोलेनाथ के किस दरबार में रहेगी आपको बताते हैं।
किस मंदिर में कौन सी हस्ती?
सोमनाथ मंदिर में गृहमंत्री अमित शाह, महाकाल मंदिर में ज्योतिरादित्य सिंधिया, ओंकारेश्वर मंदिर में एमपी के सीएम शिवराज सिंह चौहान, घृष्नेश्वर मंदिर में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, त्रयंबकेश्वर मंदिर में पियूष गोयल, नागेश्वर मंदिर में गुजरात के सीएम भूपेंद्र पटेल, केदारनाथ मंदिर में उत्तराखंड के सीएम पुष्कर धामी रहेंगे।
सोमनाथ मंदिर (सोमनाथ, गुजरात)- अमित शाह, केंद्रीय गृहमंत्री
महाकाल मंदिर (उज्जैन)- ज्योतिरादित्य सिंधिया, केंद्रीय मंत्री
ओंकारेश्वर मंदिर(खंडवा)- शिवराज सिंह चौहान, सीएम, एमपी
घृष्नेश्वर मंदिर (औरंगाबाद, महाराष्ट्र)- नितिन गडकरी, केंद्रीय मंत्री
त्रयंबकेश्वर मंदिर (नासिक, महाराष्ट्र)- पियूष गोयल, केंद्रीय मंत्री
नागेश्वर मंदिर (द्वारका, गुजरात)- भूपेंद्र पटेल, सीएम, गुजरात
केदारनाथ मंदिर (उत्तराखंड)- पुष्कर धामी, सीएम, उत्तराखंड
कोरोना के बावजूद सिर्फ 33 महीने में पूरा हुआ मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट
आपको बता दें कि प्रधानमंत्री हमेशा कहते हैं कि जिस मिशन को पूरा करने का वो संकल्प लेते हैं, उसे पूरा भी करते हैं। जिसका शिलान्यास करते हैं, उसका लोकार्पण भी करते हैं। मोदी का ये ड्रीम प्रोजेक्ट कोरोना के बावजूद सिर्फ और सिर्फ इसलिए 33 महीने में पूरा हो पाया क्योंकि इस मिशन में लगे लोगों का विजन साफ था कि बाबा विश्वनाथ के मंदिर को संकरी गलियों से आजाद करना है ताकि दिव्यागजन भी पूजा कर पाए, बुजुर्ग भी पूजा कर पाए और वो भी मंदिर तक पहुंच पाए जो सिर्फ तस्वीरों के सामने हाथ जोड़ा करते थे। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बनाने के लिए चार सौ मकानों और दुकानों को शिफ्ट किया गया। उन घरों और दुकानों को हटाने का काम शुरू हुआ तो वहां से प्राचीन मंदिर और सुंदर मूर्तियां निकलीं।
काशी कॉरिडोर क्यों है खास?
मोदी ने हर मंदिर को कॉरिडोर में जगह दिलाई। इनके अलावा काशी विश्वनाथ कॉरिडोर में 24 नए भवन बनाए गए हैं। मंदिर परिसर बना गया है, जो पहले सिर्फ 2000 वर्ग फुट का था। मंदिर चौक, गेस्ट हाउस, 3 यात्री सुविधा केंद्र बनाए गए हैं। हजारों लोग बनारस में मोक्ष प्राप्त करने आते हैं इसलिए मुमुक्षु भवन बनाए गए हैं। बुक स्टोर, भोग शाला, वाराणसी गैलरी और म्यूज़ियम बनाए गए हैं। इस म्यूजियम में वाराणसी कॉरिडोर में मिले छोटी से छोटी चीजों को रखा जाएगा। लोगों को बैठने के लिए मल्टी परपज़ हॉल बनाया गया है। वैदिक केंद्र, दुकानें, यूटिलिटी बिल्डिंग, सिक्योरिटी बिल्डिंग और नीलकंठ पैवेलियन का निर्माण किया गया है।