Highlights
- अवैद्यनाथ का ब्रह्मलीन होना सामान्य नहीं, बल्कि इच्छा मृत्यु जैसी घटना
- महंत अवैद्यनाथ का ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर भी थे हैरान
- डॉक्टर योगी से फोन पर बड़े महाराज का हाल-चाल पूछते थे
Brahmalin Mahant Avaidyanath: योग साधना केंद्र के लिए विख्यात गोरक्षनाथ पीठ के महंत अवैद्यनाथ काल को मात देते रहे। कई बार ऐसा लगा कि वह ब्रह्मलीन हो जाएंगे, लेकिन वह योग साधना के बल काल से लुका-छिपी खेलते रहे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गुरु ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ (Brahmalin Mahant Avaidyanath) ने 12 सितंबर 2014 में अपनी इच्छा से शरीर त्यागा था। अपने गुरु में लगाव ही था कि योगी ने उनकी सेहत बिगड़ती देख मेदांता अस्पताल में ही महामृत्युंजय का जाप करना शुरू कर दिया था। इसके बाद शरीर में हलचल हुई और उन्हें गोरखपुर लाया गया। जहां गोरक्षनाथ मंदिर में उन्होंने शरीर को त्यागा।
अवैद्यनाथ का ब्रह्मलीन होना सामान्य नहीं, बल्कि इच्छा मृत्यु जैसी घटना
विज्ञान के इस युग में ऐसा भी संभव है। आप यकीन करें या न करें, पर यह बात मुकम्मल सच है। आठ साल पहले (12 सितंबर 2014) गोरक्षपीठ के महंत अवैद्यनाथ का ब्रह्मलीन होना सामान्य नहीं, बल्कि इच्छा मृत्यु जैसी घटना थी। गोरक्षपीठ में काफी समय गुजारने वाले वरिष्ठ पत्रकार गिरीश पांडेय कहते हैं कि डॉक्टर्स के मुताबिक उनकी मौत तो 2001 में तभी हो जानी चाहिए थी, जब वे पैंक्रियाज के कैंसर से पीड़ित थे। उम्र और ऑपरेशन के बाद ऐसे मामलों में लोगों के बचने की संभावना सिर्फ 5 फीसद होती है। इसी का हवाला देकर उस समय दिल्ली के एक नामी डॉक्टर ने ऑपरेशन करने से मना कर दिया था। बाद में आपरेशन के लिए तैयार हुए तो यह भी कहा कि ऑपरेशन सफल भी रहा तो भी बची जिंदगी मुश्किल से तीन साल की और होगी। पर बड़े महराजजी उसके बाद 14 साल तक जीवित रहे।
ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर भी थे हैरान
ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर अक्सर पीठ के तब के उत्तराधिकारी (अब पीठाधीश्वर और मुख्यमंत्री) योगी आदित्यनाथ से फोन पर बड़े महाराज का हाल-चाल पूछते थे। यह बताने पर की उनका स्वास्थ्य बेहतर है, हैरत भी जताते थे। बकौल योगी यह गुरुदेव के योग का ही चमत्कार था।
उन्होंने बताया कि उनकी इच्छा अपने गुरुदेव (ब्रह्मलीन महंत दिग्विनाथ) की पुण्यतिथि पर गोरक्षनाथ मंदिर में ही ब्रह्मलीन होने की थी। वही हुआ भी। इस अवसर पर गोरक्षनाथ मन्दिर में हर साल ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ की पुण्यतिथि सप्ताह समारोह का आयोजन होता है। 2014 में इसी कार्यक्रम के समापन समारोह के बाद उसी दिन फ्लाइट से योगी आदित्यनाथ शाम को दिल्ली और फिर गुड़गांव स्थित मेदांता में भर्ती अपने गुरुदेव का हाल चाल लेने गए। वहां उनके कान में पुण्यतिथि के कार्यक्रम के समापन के बाबत जानकारी दी। कुछ देर वहां रहे भी। डॉक्टर्स से बात की। सेहत रोज जैसी ही स्थिर थी। लिहाजा योगीजी अपने दिल्ली स्थित आवास पर लौट आए। रात करीब 10 बजे उनके पास मेदांता से फोन आया कि उनके गुरु की सेहत बिगड़ गई है।
सीएम योगी ने अस्पताल में शुरू किया महामृत्युंजय का जाप
योगी आदित्यनाथ मेदांता पहुंचे तो देखा, महंत अवैद्यनाथ वेंटीलेटर पर है और उनके शरीर में जीवन के कोई लक्षण नहीं थे। डॉक्टर्स के कहने के बावजूद योगी आदित्यनाथ मानने को तैयार नहीं थे। वहीं महामृत्युंजय का जाप शुरू किया। करीब आधे घंटे बाद वेंटीलेटर पर जीवन के लक्षण लौट आए। योगी को अहसास हो गया कि गुरुदेव की विदाई का समय आ गया है। उन्होंने धीरे से उनके कान में कहा कि कल आपको गोरखपुर ले चलूंगा। यह सुनकर उनकी आंखों के कोर पर आंसू ढलक आए। योगीजी ने उसे साफ किया और लाने की तैयारी में लग गए।
योगी आदित्यनाथ दूसरे दिन एयर एंबुलेंस से अपने पूज्य गुरुदेव को गोरखपुर लाने के बाद उनके कान में कहा, आप गोरखनाथ मंदिर में आ चुके हैं। बड़े महाराज के चेहरे पर तसल्ली का भाव आया। इसके करीब घंटे भर के भीतर उनका शरीर शांत हो गया।