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इलाहाबाद हाई कोर्ट का आदेश, झांसी में फर्जी मुठभेड़ के आरोपी पुलिस कर्मियों पर दर्ज हो मुकदमा

Fake Encounter: याचिकाकर्ता शिवांगी यादव ने हाई कोर्ट से गुहार लगाई थी कि पांच अक्टूबर, 2019 को झांसी के मोठ थाने के अंतर्गत उसके पति पुष्पेंद्र यादव की एक फर्जी मुठभेड़ में नृशंस हत्या के षड़यंत्र की जांच के लिए स्वतंत्र एसआईटी गठित की जाए।

Edited By: Malaika Imam
Updated on: September 15, 2022 0:02 IST
Allahabad High Court- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO Allahabad High Court

Fake Encounter: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक आदेश में झांसी के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) और गुरसहाय और मोठ थानों के थाना प्रभारियों (एसएचओ) को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि याचिकाकर्ता शिवांगी यादव के इस कथन के साथ कि उसके पति की एक फर्जी मुठभेड़ में नृशंस हत्या की गई है, प्राथमिकी दर्ज की जाए। उक्त आदेश पारित करते हुए हाई कोर्ट ने निर्देश दिया कि इस प्राथमिकी की प्रति सुनवाई की अगली तारीख 29 सितंबर, 2022 को अदालत के समक्ष प्रस्तुत की जाए। 

पुष्पेंद्र यादव की फर्जी मुठभेड़ में नृशंस हत्या

याचिकाकर्ता शिवांगी यादव ने हाई कोर्ट से गुहार लगाई थी कि पांच अक्टूबर, 2019 को झांसी के मोठ थाने के अंतर्गत उसके पति पुष्पेंद्र यादव की एक फर्जी मुठभेड़ में नृशंस हत्या के षड़यंत्र की जांच के लिए स्वतंत्र एसआईटी गठित की जाए। सोमवार को उक्त निर्देश पारित करते हुए न्यायमूर्ति सुनीत कुमार और न्यायमूर्ति सैयद वाइज मियां की पीठ ने कहा, "इस अदालत की ओर से 19 फरवरी, 2022 को पारित विस्तृत आदेश के संबंध में याचिकाकर्ता का यह बयान दर्ज करना न्याय हित में होगा कि उसके पति की एक फर्जी मुठभेड़ में नृशंस हत्या की गई।" 

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Image Source : REPRESENTATIVE IMAGE
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'परिजनों की अनुपस्थिति में अंतिम संस्कार किया गया'

याचिकाकर्ता के मुताबिक, इससे पूर्व उसने झांसी के एसएसपी को 11 अक्टूबर, 2019 को एक प्रार्थना पत्र दिया था, लेकिन प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई। याचिका में आरोप लगाया गया है कि पुष्पेंद्र की एक फर्जी मुठभेड़ में पुलिस द्वारा हत्या की गई और इस फर्जी मुठभेड़ के साक्ष्य को मिटाने और इस मुठभेड़ में शामिल पुलिस अधिकारियों को बचाने के लिए परिजनों की अनुपस्थिति में उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया। 

याचिकाकर्ता की ओर से यह आरोप भी लगाया गया कि मुठभेड़ और पुष्पेंद्र की मृत्यु से जुड़े दस्तावेजों को भी परिवार को नहीं दिया गया। याचिकाकर्ता ने राज्य सरकार को इस मामले की निष्पक्ष जांच के लिए एक एसआईटी गठित करने का निर्देश देने और इस मुठभेड़ की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के सुपुर्द करने का भी अनुरोध अदालत से किया।

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