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आजम खान के बाद अब बीजेपी विधायक विक्रम सैनी की सदस्यता रद्द, कोर्ट ने सुनाई थी 2 साल की सजा

बीजेपी नेता विक्रम सैनी 2017 से मुजफ्फरनगर की खतौली विधानसभा सीट से दो बार विधायक हैं। वह कवाल गांव के मुखिया थे, जब उन पर 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों से संबंधित हत्या की कोशिश और अन्य आरोपों का आरोप लगाया गया था।

Edited By: Malaika Imam @MalaikaImam1
Published : Nov 05, 2022 8:04 IST, Updated : Nov 05, 2022 8:09 IST
विक्रम सैनी
Image Source : ANI विक्रम सैनी

समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान की विधायकी रद्द होने के बाद अब बीजेपी को बड़ा झटका लगा है। मुजफ्फरनगर की खतौली विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक विक्रम सैनी की विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी गई है। विक्रम सैनी को एक मामले में कोर्ट ने दो साल की सजा सुनाई थी। जल्द ही विक्रम सैनी की सीट को विधानसभा सचिवालय रिक्त घोषित करेगा। ऐसे में अब रामपुर सीट के साथ-साथ खतौली विधानसभा सीट पर भी उपचुनाव हो सकता है।

विक्रम सैनी समेत 12 लोग दोषी पाए गए थे

मुजफ्फरनगर में हुए कवाल कांड साल 2013 मामले में बीजेपी विधायक विक्रम सैनी समेत 12 लोग दोषी पाए गए थे। एमपी-एमएलए कोर्ट ने विक्रम सैनी समेत सभी आरोपियों को 2-2 साल की सजा सुनाई थी। कवाल गांव में दो युवकों की हत्या के बाद बीजेपी विधायक विक्रम सैनी सहित 28 लोगों पर गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ था। इसमें करीब 15 लोग सबूतों के अभाव में बरी हो गए थे। सजा के कुछ दिन बाद ही सभी आरोपियों को जमानत मिल गई थी। वहीं, इस मामले में बीजेपी विधायक विक्रम सैनी ने हाई कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया है।

मुजफ्फरनगर जिले की सांसद या विधायक अदालत ने 11 अक्टूबर को सजा सुनाई थी। दो लोगों की हत्या के बाद 2013 में हिंसक प्रदर्शन के दौरान सरकारी काम में बाधा डालने के मामले में बीजेपी विधायक विक्रम सैनी समेत 12 लोगों को दो साल की कैद की सजा सुनाई थी। साथ ही 10 हजार रुपये का जुमार्ना भी लगाया गया था।

2017 से खतौली सीट से दो बार के विधायक

विक्रम सैनी 2017 से उसी विधानसभा सीट से दो बार विधायक हैं। वह कवाल गांव के मुखिया थे, जब उन पर 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों से संबंधित हत्या की कोशिश और अन्य आरोपों का आरोप लगाया गया था। दो भाइयों की हत्या के बाद अगस्त और सितंबर 2013 में मुजफ्फरनगर में दो समुदायों के बीच महीने भर तक झड़पें हुईं।

कोर्ट ने सैनी को अंतरिम जमानत दे दी थी

11 अक्टूबर को एमपी-एमएलए (मजिस्ट्रेट ट्रायल) की कोर्ट में बीजेपी विधायक विक्रम सैनी को दोषी करार कर दिया था।अभियोजन अधिकारी राजीव शर्मा ने बताया कि कोर्ट ने विक्रम सैनी को 2 साल की कैद और 10 हजार रुपये जुर्माना अदा करने की सजा सुनाई। इसके बाद विक्रम सैनी के अधिवक्ता की ओर से जमानत का प्रार्थना पत्र दाखिल किया गया, जिस पर कोर्ट ने सुनवाई करते हुए 25-25 हजार के दो जमानती दाखिल करने पर अपील दाखिल तक विक्रम सैनी को अंतरिम जमानत दे दी थी।

रालोद मुखिया जयंत चौधरी ने उठाया था मुद्दा

गौरतलब है कि सपा नेता और रामपुर सीट से विधायक रहे आजम खान की विधायकी जाने पर रालोद मुखिया जयंत चौधरी ने विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना को हाल ही में पत्र लिखकर सवाल किया था। उन्होंने बीजेपी विक्रम सैनी के मामला उठाते हुए उन पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई, इले लेकर सवाल किए थे। वहीं, राज्यसभा सांसद और रालोद मुखिया ने जन लोक प्रतिनिधित्व कानून का हवाला देते हुए विधानसभा अध्यक्ष से विक्रम सैनी के प्रकरण में जल्द कार्रवाई की मांग की थी। जयंत चौधरी के इस पत्र के बाद मामले ने तूल पकड़ लिया था और तभी से बीजेपी विधायक विक्रम सैनी की भी विधायकी रद्द करने का मुद्दा जोर पकड़ लिया।

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