कानपुर/लखनऊ: कानपुर में लैब टेक्नीशियन संजीत यादव की अपहरण के बाद हत्या के मामले में उत्तर प्रदेश सरकार ने केंद्र से CBI जांच की सिफारिश की है। संजीत यादव का परिवार लगातार CBI जांच की मांग कर रहा था। अब राज्य सरकार ने संजीत के परिवार की मांग के मद्देनजर केंद्र सरकार से मामले में CBI जांच कराने की सिफारिश की है। बता दें कि अभी तक भी संजीत यादव का शव पुलिस को नहीं मिला है।
इससे पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने मामले की जांच में लापरवाही बरतने के लिए एक अपर पुलिस अधीक्षक सहित 11 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया था। इनमें अपर पुलिस अधीक्षक (दक्षिणी) कानपुर नगर अपर्णा गुप्ता एवं तत्कालीन क्षेत्राधिकारी मनोज गुप्ता सहित तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक थाना बर्रा रणजीत राय, चौकी प्रभारी राजेश कुमार, उपनिरीक्षक योगेन्द्र प्रताप सिंह, आरक्षी अवधेश, आरक्षी दिशु भारती, आरक्षी विनोद कुमार, आरक्षी सौरभ पाण्डेय, आरक्षी मनीष व आरक्षी शिव प्रताप शामिल थे।
पुलिस जांच के मुताबिक, कथित तौर पर फिरौती के लिए अपहृत लैब टेक्नीशियन की उसके अपहर्ताओं ने हत्या की है। अपहर्ताओं ने हत्या कर शव को पांडु नदी में फेंक दिया था, जो अभी तक बरामद नहीं हुआ है। मामले में एक महिला और टेक्नीशियन के दो मित्रों सहित पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इन्होंने पहले पुलिस को गुमराह करने की चेष्टा की लेकिन बाद में विस्तृत पूछताछ के दौरान उन्होंने अपराध कबूला।
गोविन्द नगर पुलिस क्षेत्राधिकारी विकास पाण्डेय ने मामले में बताया कि था कुलदीप लैब टेक्नीशियन संजीत यादव के साथ किसी अन्य पैथालाजी में काम करता था। कुलदीप ने यादव को रतनलाल नगर स्थित अपने किराये के मकान पर शराब पार्टी के लिए बुलाया। वहां यादव को नशीला इंजेक्शन दिया गया और पांच दिन तक बंधक रखा गया।
पाण्डेय ने बताया कि जब-जब यादव को होश आता, अपहर्ता उसे नशीला इंजेक्शन लगा देते थे। उन्होंने बताया था कि कुलदीप ने अन्य लोगों की मदद से 26 या 27 जून को यादव की हत्या कर दी और शव को एक कार से ले जाकर पांडु नदी में फेंक दिया।