लखनऊ. पूर्वाचल, बुंदेलखंड और गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे के बाद उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार 594 किलोमीटर लंबे गंगा एक्सप्रेसवे का निर्माण शुरू करने की तैयारी कर रही है। आदित्यनाथ ने साल 2019 के कुंभ मेले के दौरान मेरठ को प्रयागराज से जोड़ने के लिए गंगा एक्सप्रेस-वे के निर्माण की घोषणा की थी। यह परियोजना पिछले 15 सालों से लंबित है। उत्तर प्रदेश एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) ने इस एक्सप्रेस-वे के निर्माण की योजना 12 पैकेजों में बनाई है।
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यूपीडा के सीईओ अवनीश अवस्थी ने कहा, "हमने एक्सप्रेस-वे के निर्माण के लिए खुली अंतर्राष्ट्रीय बोलियों को आमंत्रित करने का फैसला लिया है। राज्य सरकार चालू वित्त वर्ष में एक्सप्रेस-वे पर काम शुरू करने और इसे 2023 तक इसे जनता को सौंपना चाहती है।"
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उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद सरकार ने पूर्वी उत्तर प्रदेश से पश्चिमी उत्तर प्रदेश को जोड़ने वाले राज्य के सबसे लंबे, छह-लेन वाले, आठ लेन तक विस्तार करने की क्षमता वाले, सुविधाओं से लैस एक्सप्रेस-वे पर काम शुरू किया था। यह एक्सप्रेस-वे मेरठ में शंकरपुर गांव के पास एनएच-235 से शुरू होगा और प्रयागराज जिले में सोरांव के पास एनएच-330 पर खत्म होगा।
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सरकार ने परियोजना के लिए 37,350 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं, जिसमें से 9,500 करोड़ रुपये भूमि के अधिग्रहण और बाकी के 24,091 रुपये निर्माण कार्यों पर खर्च किए जाएंगे।
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गंगा एक्सप्रेस-वे की सबसे अनूठी बात यह है कि यह लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे, पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे और बलिया लिंक एक्सप्रेस-वे के माध्यम से राज्य में अन्य एक्सप्रेस-वे को जोड़ेगा। एक बार यह बन जाने के बाद उत्तर प्रदेश में एक्सप्रेस-वे का कुल नेटवर्क 1,900 किलोमीटर का होगा और यह औद्योगिक और कृषि विकास को गति देने के साथ ही विभिन्न क्षेत्रों में निवेश को भी आकर्षित करेगा।
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आधिकारिक सूत्रों ने बताया है कि राज्य सरकार ने गंगा एक्सप्रेस-वे के किनारे-किनारे बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण अभियान शुरू करने की भी योजना बनाई है। एक्सप्रेस-वे 12 जिलों - मेरठ, बुलंदशहर, हापुड़, अमरोहा, संभल, बदायूं, शाहजहांपुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़ और प्रयागराज से होकर गुजरेगा।