नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में योगी सरकार द्वारा बूचड़खानों पर कार्रवाई का असर लखनऊ के मशहूर टुंडे कबाबों पर भी पड़ा है। लगभग 100 साल में पहली बार टुंडे कबाब की दुकान कच्चा माल यानी भैंसे के मीट की कमी के कारण बुधवार को बंद रही। गुरुवार को खुली तो बस मीट और चिकन के कबाब मिल रहे थे।
टुंडे कबाब लखनऊ की शान का हिस्सा हैं। कहते हैं कि ऐसे कबाब कहीं नहीं मिलेंगे, लेकिन बुधवार को ये कबाब भी नहीं मिले। वहीं गुरुवार को भी भैंसे के गोश्त के कबाब नहीं मिले। इन्हें गोश्त देने वाले अब सप्लाई नहीं कर पा रहे।
लखनऊ की सबसे पुरानी दुकानों में से एक टुंडे कबाब जब से शुरू हुई है तब से यहां भैंस के मांस से बने कबाब बेचे जाते हैं। टुंडे कबाबी के मैनेजर ने बताया कि लोग यहां भैंस के मांस से बने कबाब खाने आते हैं। मुझे यह पक्का नहीं है कि लोग यहां मटन और चिकन के कबाब भी उतने ही उत्साह से लेंगे।
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एकाएक ये कमी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सख्त आदेश की वजह से पैदा हुई। प्रशासन सख्त हुआ, अवैध बूचड़खाने बंद कर दिए गए और मीट की सप्लाई एकदम से गिर गई। सरकार की सख्ती केवल अवैध बूचड़खानों पर है लेकिन असर मीट की कमी के रूप में दिख रहा है।
इससे साफ जाहिर है कि लखनऊ में भी अवैध बूचड़खाने चल रहे थे। भारतीय जनता पार्टी ने अपने चुनावी वादों में ऐसे बूचड़खानों को बंद करने का वादा किया था और 15 मार्च को शपथ ग्रहण के बाद से कार्यवाही शुरू हो गई।