लखनऊ: उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार जल्द ही धर्म-परिवर्तन के खिलाफ अध्यादेश लाने की योजना बना रही है। सूत्रों का कहना है कि राज्य में 'लव जिहाद' के मामलों की बढ़ती संख्या को देखते हुए ऐसा करने पर विचार किया जा रहा है। इसी कारणवश मुस्लिम पुरुष हिंदू लड़कियों को फुसलाने के लिए अपनी धार्मिक पहचान छिपा रहे है। ऐसे मामले सबसे ज्यादा कानपुर और मेरठ से सामने आए हैं। सूत्रों के मुताबिक, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने इस सप्ताह अपनी 2 दिन की लखनऊ यात्रा के दौरान धर्म परिवर्तन का मुद्दा भी उठाया था।
8 राज्यों में पहले से ही है धर्मांतरण विरोधी कानून
गौरतलब है कि देश के विभिन्न राज्यों में धर्म-परिवर्तन विरोधी कानून किसी भी व्यक्ति को प्रत्यक्ष या, किसी अन्य व्यक्ति द्वारा ‘जबरन’ या ‘धोखाधड़ी’ के माध्यम से, या ‘फुसलाकर’ या ‘प्रलोभन’ के माध्यम से धर्म-परिवर्तित करने से रोकता है। कानून विभाग के एक अधिकारी ने कहा, ‘उत्तर प्रदेश में कानून काफी हद तक समान होगा, जो धार्मिक परिवर्तनों को जटिल और बोझिल प्रक्रिया बना देगा।’ इस समय देश के कुल 8 राज्यों में धर्मातरण विरोधी कानून लागू हैं, ये राज्य अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, झारखंड और उत्तराखंड हैं।
कानपुर में ‘लव जिहाद’ के 11 मामलों की चल रही जांच
भारत में धर्मांतरण विरोधी कानून को लागू करने वाला ओडिशा पहला राज्य बना था। इस सूबे ने 1967 में इस कानून को को अपने यहां लागू किया था। इसके एक साल बाद 1968 में मध्य प्रदेश ने भी धर्मांतरण विरोधी कानून अपने यहां लागू कर दिया। कानून विभाग के अधिकारी ने कहा कि उत्तर प्रदेश जल्द ही इस कानून को लागू करने वाला नौवां राज्य बन सकता है। बता दें कि इस समय उत्तर प्रदेश में ‘लव जिहाद’ का मुद्दा इस समय गरमाया हुआ है और योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने कानपुर में इसके 11 मामलों की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया है। (IANS)