उत्तर प्रदेश के गोरखपुर सीट से भाजपा सासंद रहते हुए मुख्यमंत्री चुने गए योगी आदित्यनाथ के पास चुनाव लड़ने के अलावा कोई और विकल्प नजर नहीं आ रहा है। ऐसे में मुख्यमंत्री योगी विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं। सिर्फ वही नहीं, उनके दोनों उप मुख्यमंत्रियों समेत मंत्रिमंडल के दो अन्य सदस्यों को भी विधायकी के चुनाव में उतरना पड़ेगा। इन सबके लिए छह माह के भीतर विधानसभा या विधान परिषद की सदस्यता हासिल करना अनिवार्य है और फिलहाल चुनाव के अलावा अन्य विकल्प नहीं दिखाई दे रहे।
योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से चार बार सांसद रह चुके हैं और यह पहला मौका होगा जबकि वह विधानसभा चुनाव से रूबरू होंगे। वहीं सियासी समीकरण की तस्वीर और विकल्प कुछ इस ओर इशारा कर रही है। बता दें कि योगी आदित्यनाथ के सामने दो विधानसभा ऐसी है जिसे उनका गढ़ माना जाता है। ये सीटें अभी योगी के करीबियों के पास है।
गोरखपुर शहर: इस सीट पर बीजेपी से तीन बार विधायक रहे डॉ। राधा मोहन दास अग्रवाल चुनाव जीतते आए हैं। वे योगी आदित्यनाथ के बेहद करीबी बताए जाते हैं। राधा मोहन दास अग्रवाल की पहचान बड़े ही सादगी भरे नेता के रूप में होती है। सूत्रों की माने तो प्रबल उम्मीद यही लगाई जा रही है कि योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से विधानसभा का चुनाव लड़ सकते है। इसकी वजह है कि योगी कैबिनेट में राधा मोहन को जगह नहीं दी गई।
कैम्पियरगंज विधानसभा: इस सीट पर बीजेपी के फतेह बहादुर सिंह ने चुनाव जीता है, जहां योगी के नाम पर वोट मिलता है। सूत्रों की माने तो हो सकता है कि मौजूदा विधायक फतेह बहादुर सिंह को गोरखपुर से लोकसभा का चुनाव लड़ाकर दिल्ली भेजा जा सकता है। फतेह बहादुर सिंह इस पहले भी कई बार विधायक और मंत्री रह चुके हैं। पूर्वांचल में फायरब्रांड चेहरे के रूप में योगी आदित्यनाथ के गढ़ गोरखपुर की नौ विधानसभा सीटों में एक चिल्लूपार को छोड़कर सभी सीटों पर बीजेपी ने परचम लहराया है। इस ऐतिहासिक जीत के पीछे योगी का दबदबा माना जाता है।
इसी तरह उप मुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा भी पहली बार विधानसभा चुनाव में उतरेंगे। हालांकि वह महापौर का चुनाव लड़ते रहे हैं। उनके लिए भी कई विधायकों ने सीट छोडऩे की कोशिश की है। उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को अलबत्ता विधानसभा चुनाव का अनुभव है। पिछली विधानसभा चुनाव में वह कौशांबी के सिराथू क्षेत्र से विधायक चुने गए थे।
इस बार भी संभावना यही है कि वह अपनी पुरानी सीट से ही चुनाव लड़ेंगें, हालांकि उनके लिए भी कई विधायक अपनी सीट छोडऩे की पेशकश कर चुके हैं। छह माह के भीतर विधानपरिषद में कोई सीट खाली नहीं हो रही है। पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार जनता में अच्छा संदेश जाये इसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ विधानसभा चुनाव के जरिए ही सदन में जाएंगे, यह मन वह बना चुके हैं।
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