प्रयागराज. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को एक निर्देश जारी कर अगले आदेश तक बार, रेस्तरां और कैफे को हुक्का की पेशकश करने की अनुमति नहीं देने को कहा है। न्यायमूर्ति शशिकांत गुप्ता और न्यायमूर्ति शमीम अहमद की पीठ ने लखनऊ विश्वविद्यालय के विधि के एक छात्र द्वारा लिखित एक पत्र पर यह निर्देश पारित किया। छात्र ने अपने पत्र में हुक्का के जरिए कोरोना वायरस फैलने का जिक्र किया है और इस पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है।
इस अदालत ने सात जुलाई, 2020 को लिखे पत्र और उसके साथ संलग्न दस्तावेजों को जनहित याचिका माना। पत्र में कहा गया है कि प्रथम दृष्टया धूम्रपान से ना केवल अन्य रोगों, बल्कि कोविड-19 के फैलने का खतरा रहता है।
अदालत ने कहा, "इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि कोरोना वायरस के मामले दिनोंदिन बढ़ रहे हैं और यदि रेस्तरां और कैफे जैसे सार्वजनिक स्थलों को हुक्का की पेशकश करने से तुरंत नहीं रोका जाता है तो उत्तर प्रदेश में समुदायों के बीच कोविड-19 के मामले तेजी से बढ़ सकते हैं।"
अदालत ने आगे कहा, "इस बात को ध्यान में रखते हुए हम मुख्य सचिव को निर्देश देते हैं कि वे अगले आदेश तक हुक्का की पेशकश करने की अनुमति ना दें।" अदालत ने कहा कि मुख्य सचिव इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख 30 सितंबर, 2020 तक अपना जवाब और अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करेंगे। अदालत ने अधिवक्ता विनायक मिथाल को इस मामले में अदालत का सहयोग करने के लिए न्याय मित्र नियुक्त किया।