लखनऊ. उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण की वजह से बुरा हाल है। हर दिन कोरोना के बढ़ते मामलों के कारण राज्य के अस्पतालों पर दबाव बढ़ गया है। ऐसे हालातों में प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने पूरे राज्य में हर शनिवार और रविवार को कोरोना कर्फ्यू लगाने का ऐलान किया है। इसके अलावा राज्य में हर रात 8 बजे से अगले दिन सवेरे के 7 बजे तक रात्रि कर्फ्यू लागू रहेगा। इस दौरान जरूरी गतिविधियों को छोड़कर बाकी सभी गतिविधियां प्रतिबंधित रहेगी। राज्य सरकार ने इस नियम को तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया है। आइए आपको बताते हैं कि इसके अलावा राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार ने प्रदेश के अधिकारियों को दिए हैं क्या निर्देश।
- प्रदेशवासियों को मास्क लगाने के लिए प्रेरित करें। जहां तक जरूरी हो, घर से बाहर न निकलें। सार्वजनिक स्थलों पर भीड़ न हो। इसे कड़ाई से लागू किया जाए।
- महाराष्ट्र, राजस्थान और दिल्ली से वापस लौट रहे प्रवासी मजदूरों की वापसी के लिए आवागमन की व्यवस्था की जाए। इनकी टेस्टिंग और जरूरत के अनुसार ट्रीटमेंट की समुचित व्यवस्था की जाए।
- 1 मई से शुरू हो रहे कोविड टीकाकरण अभियान के लिए जरूरी प्रबंध सुनिश्चित किए जाएं। टीकाकरण का यह नया चरण कोविड से लड़ाई में निर्णायक सिद्ध होगा।
- लखनऊ, कानपुर नगर, प्रयागराज, वाराणसी,झांसी, गोरखपुर, मेरठ जनपदों सहित प्रदेश के सभी जिलों में कोविड बेड की संख्या को दोगुना करने की आवश्यकता है। फौरी तौर पर सभी जिलों में 200-200 बेड का विस्तार किया जाए। यह बेड ऑक्सीजन की सुविधा से लैस हों। इस प्रकार से 75 जिलों में तत्काल करीब 15,000 बेड का इजाफा हो सकेगा।
- सचिव स्तर के एक अधिकारी की तैनाती प्रदेश में बेड विस्तार के कार्य के लिए लगाई जाए। इस कार्य को सर्वोच्च प्राथमिकता के साथ किया जाए। चिकित्सा शिक्षा मंत्री और स्वास्थ्य मंत्री इस संबंध में सभी जिला प्रशासनों से संवाद स्थापित कर कार्यवाही सुनिश्चित कराएं।
- लखनऊ के केजीएमयू तथा बलरामपुर चिकित्सालय को पूरी क्षमता के साथ डेडिकेटेड कोविड अस्पताल के तौर पर पूरी क्षमता के साथ संचालित करें। इसी प्रकार, एरा, टीएस मिश्रा, इंटीग्रल, हिन्द तथा मेयो मेडिकल कॉलेज को पूरी क्षमता के साथ डेडिकेटेड कोविड हॉस्पिटल के रूप में क्रियाशील रखा जाए।
- वर्तमान में 4500 से अधिक बेड लखनऊ में उपलब्ध हैं। और नए हॉस्पिटल को एल-2 और एल-3 श्रेणी में जोड़कर बेड्स बढ़ाये जाएं। लखनऊ में सभी हॉस्पिटलों के लिए अलग-अलग नोडल अधिकारी नियुक्त की जाए। इंटीग्रेटेड कंट्रोल एंड कमांड सेंटर के माध्यम से यहां की स्थितियों पर लगातार नजर रखी जाए।
- प्रयागराज के स्वरूप रानी मेडिकल कॉलेज और यूनाइटेड मेडिकल कॉलेज में 800 से अधिक बेड उपलब्ध हैं। इसे और बढ़ाया जाना चाहिए। निजी अस्पतालों के बेड इसके अतिरिक्त हैं। वाराणसी में आरटीपीसीआर का पॉजिटिविटी रेट अधिक है, यहां और अधिक टेस्ट किए जाने की जरूरत है।
- कानपुर में जीएसवीएम, रामा, नारायणा मेडिकल कॉलेजों के साथ-साथ निजी अस्पतालों के संसाधनों का भी कोविड के लिए उपयोग में लाया जाए।
- एल-1, एल-2 और एल-3 हॉस्पिटल की अलग-अलग मॉनिटरिंग करते ऑक्सीजन उपलब्ध कराया जाए। ऑक्सीजन की सुचारू आपूर्ति के लिए यह जरूरी है कि ऑक्सीजन की आपूर्ति संस्थागत रूप से हो। प्रत्येक अस्पताल में न्यूनतम 36 घंटों का ऑक्सीजन बैकअप जरूर रहे।
- एमएसएमई सहित सभी छोटी-बड़ी औद्योगिक इकाइयों में उत्पादित होने वाली ऑक्सीजन का इस्तेमाल केवल मेडिकल कार्य के लिए हो। इन ऑक्सीजन प्लांट को इनके निकटतम हॉस्पिटल से जोड़ा जाए। जो निजी इकाइयां ऑक्सीजन रीफिलिंग के क्षेत्र में निवेश करना चाहती हैं, उन्हें प्रोत्साहित किया जाए। ऑक्सीजन उत्पादनकर्ताओं के लाइसेंस के स्वतः नवीनीकरण करने के संबंध में तत्काल आदेश कर दिया जाए।
- सभी ऑक्सीजन प्लांट पर पुलिस सुरक्षा हो। ऑक्सीजन वाले वाहनों की जीपीएस मॉनिटरिंग की जाए। ऑक्सीजन व अन्य जीवनरक्षक दवाओं की कालाबाजारी और मुनाफाखोरी रोकने के लिए हर संभव कठोरतम कार्रवाई की जानी चाहिए।
- प्रदेश में पांच नए ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना की कार्यवाही प्रारंभ हो गई है। इसे शीघ्रता से क्रियाशील किया जाए। भविष्य के दृष्टिगत 100 बेड से अधिक क्षमता वाले सभी अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट स्थापना को अनिवार्य किया जाए। एयर सेपरेशन यूनिट जैसी आधुनिक तकनीक को प्रोत्साहित किया जाए। प्रदेश में इसकी क्षमता बढ़ाई जानी चाहिए।