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Kanpur Encounter: गैंगस्‍टर विकास दुबे का एक पुराना वीडियो आया सामने, पूछताछ के दौरान कही ये बात

चौबेपुर थाना क्षेत्र के बिकरू गांव में माफिया सरगना विकास दुबे को पकड़ने गई पुलिस टीम पर छत पर खड़े बदमाशों ने ताबड़तोड़ गोलियां चलाई थीं।

Edited by: India TV News Desk
Published : July 06, 2020 9:35 IST
Vikas dubey interrogation video when he was arrested by up stf in 2017
Image Source : GOOGLE Vikas dubey interrogation video when he was arrested by up stf in 2017

लखनऊ। कानपुर के बिकरू गांव में 2-3 जुलाई की रात पुलिस टीम पर हुए हमले के मुख्‍य आरोपी गैंगस्‍टर विकास दुबे का एक वीडियो सामने आया है। 2017 एसटीएफ ने विकास दुबे को जिला पंचायत बैठक में हुई मारपीट के सिलसिले में पूछताछ के लिए बुलाया था। यह वीडियो उसी पूछताछ का है। उस समय विकास दुबे जिला पंचायत सदस्‍य हुआ करता था। विकास दुबे ने उस समय कुछ नेताओं के नाम लिए थे। पुलिस द्वारा पकड़े गए विकास दुबे के सहयोगी ने बताया है कि विकास अवैध शराब का कारोबार भी करता था।   

पूछताछ के वीडियो में विकास दुबे ने यह माना है कि जिला पंचायत बैठक में एक सदस्‍य ने उसे धमकाया था। इसी के कारण बैठक में मारपीट हुई। हालांकि विकास ने कहा कि यह मारपीट उसके बैठक से जाने के बाद हुई।  चौबेपुर थाना क्षेत्र के बिकरू गांव में माफिया सरगना विकास दुबे को पकड़ने गई पुलिस टीम पर छत पर खड़े बदमाशों ने ताबड़तोड़ गोलियां चलाई थीं। इस वारदात में एक पुलिस उपाधीक्षक और तीन दरोगा समेत आठ पुलिसकर्मी मारे गए थे, जबकि सात अन्य जख्मी हो गए थे।

कयामत की रात थी वह

कानपुर के बिकरू गांव में दो/तीन जुलाई की दरमियानी रात को गैंगस्टर विकास दुबे के घर छापा मारने गई पुलिस टीम पर हुए कातिलाना हमले के साक्षी बिठूर थानाध्यक्ष की नजर में वह कयामत की रात थी। पिछले करीब एक दशक में पुलिस पर हुए सबसे दुस्साहसिक हमलों में शुमार कानपुर की उस वारदात में जिंदा बचे चंद खुशकिस्मत पुलिसकर्मियों में शामिल बिठूर के थानाध्यक्ष कौशलेंद्र प्रताप सिंह उस वारदात को याद कर सिहर उठते हैं। कानपुर के एक निजी अस्पताल में इलाज करा रहे सिंह ने कहा कि पुलिस दल को तनिक भी भान नहीं था कि उस पर ऐसा जघन्य हमला होने जा रहा है। पुलिस के पास उस हमले का जवाब देने के लायक हथियार भी नहीं थे। दूसरी ओर हमलावर पूरी तरह से तैयार थे उस सब के पास सेमी ऑटोमेटिक हथियार थे। जैसे ही हम गली में खड़ी की गई जेसीबी को पार कर आगे बढ़े, छत से गोलियों की बौछार शुरू हो गई।

सिंह ने कहा कि पुलिस कर्मियों को अंधेरे का सामना करना पड़ा जबकि हमलावरों के पास टॉर्च थी जिनकी रोशनी सिर्फ पुलिसकर्मियों पर पड़ रही थी। पुलिस बदमाशों को नहीं देख पा रही थी। बिठूर थाना अध्यक्ष ने कहा कि उन्हें फोन करके इस छापेमारी के लिए बुलाया गया था क्योंकि चौबेपुर और बिठूर एक दूसरे से सटे हुए इलाके हैं लिहाजा हम एक दूसरे थाने की पुलिस की मदद करते हैं। रात करीब 12:30 बजे हम दुबे के मकान पर छापा डालने के लिए निकले थे। हमारे साथ चौबेपुर के थानाध्यक्ष भी थे। हमने अपने वाहन विकास दुबे के घर से 200 ढाई सौ मीटर की दूरी पर खड़े किए थे। उन्होंने बताया कि पुलिस जैसे ही जेसीबी वाहन को फांदकर दूसरी तरफ पहुंची, बमुश्किल एक मिनट के अंदर छत से गोलियों की बौछार शुरू हो गई। पहले राउंड में तीन पुलिसकर्मियों को गोलियां लगी जबकि बाकी पुलिसकर्मी जहां-तहां छुप गए। जिसे जो जगह मिली वह वहां दुबक गया।

बिल्हौर के पुलिस उपाधीक्षक देवेंद्र मिश्रा को गोलियां कैसे लगीं, इस बारे में सिंह ने कहा कि इस मामले में कुछ भी कहना मुश्किल है कि उन्हें किसकी गोली लगी, क्योंकि बेतरतीब फायरिंग हो रही थी। वह जिस जगह छुपे थे वहां पर ठीक ऊपर से गोलियां चलाई जा रही थी। वह 15-20 लोग थे जिन्होंने पुलिस पर हमला कियाा। हमले की इस मामले में निलंबित किए गए चौबेपुर के थाना अध्यक्ष विनय तिवारी के बारे में पूछे गए इस सवाल पर कि क्या वे पुलिस दल में सबसे पीछे चल रहे थे, सिंह ने कहा ऐसा कहना सही नहीं है क्योंकि हम सभी लोग कंधे से कंधा मिलाकर एक पंक्ति में आगे बढ़ रहे थे।

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