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ब्राह्मणों को रिझाने के लिए BSP खेलेगी Vikas Dubey Card! लड़ेगी खुशी दुबे की कानूनी लड़ाई

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में कहा गया है कि मायावती के 'मिशन ब्राह्मण' के तहत, बहुजन समाज पार्टी विकास दुबे के भतीज अमर दुबे की नाबालिग विधवा को जमानत दिलवाने को कानूनी लड़ाई लड़ने का मन बना चुकी है।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: July 21, 2021 8:31 IST
Vikas Dubey Case BSP to fight Amar Dubey's wife Khushi Dubey legal battle for bail ब्राह्मणों को रिझ- India TV Hindi
Image Source : PTI ब्राह्मणों को रिझाने के लिए BSP खेलेगी Vikas Dubey Card! लड़ेगी खुशी दुबे की कानूनी लड़ाई

लखनऊ. बहुजन समाज पार्टी उत्तर प्रदेश की सत्ता में वापसी के लिए जुट गई है। इसके लिए पार्टी की मुखिया मायावती ब्राह्मणों को रिझाने का प्रयास करती नजर आ चुकी हैं। बसपा अयोध्या में ब्राह्मण सम्मेलन के जरिए अपनी ताकत बढ़ाने की कोशिश कर रही है। अब इसी कड़ी में बहुजन समाज पार्टी विकास दुबे केस से जुड़ी अमर दुबे की नाबालिग विधवा की कानूनी लड़ाई भी लड़ने जा रही है। अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया में ये जानकारी दी गई है।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में कहा गया है कि मायावती के 'मिशन ब्राह्मण' के तहत, बहुजन समाज पार्टी विकास दुबे के भतीज अमर दुबे की नाबालिग विधवा को जमानत दिलवाने को कानूनी लड़ाई लड़ने का मन बना चुकी है। आपको बता दें कि पिछले साल यूपी पुलिस के साथ एनकाउंटर में मारे गए गैंगस्टर विकास दुबे ने उन्नाव से लेकर कानपुर देहात तक फैले ब्राह्मण-बहुल गांवों के विशाल क्षेत्र पर लंबे समय तक अपना दबदबा कायम रखा।

मायावती की सरकार में मंत्री रहे नकुल दुबे ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि एक साल से बाराबंकी के juvenile centre में बंद अमर दुबे की नाबालिग विधवा खुशी दुबे की रिहाई के लिए बसपा के ब्राह्मण चेहरे और सीनियर एडवोकेट सतीश मिश्रा प्रयास करेंगे। सतीश मिश्रा 23 जुलाई को अयोध्या में होने वाले ब्राह्मण सम्मेलन में मुख्य भूमिका निभा रहे हैं। उन्हें मायावती का बेहद खास माना जाता है। 

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नहीं दी जमानत

पिछले शुक्रवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कानपुर के बिकरू कांड के बाद मुठभेड़ में मारे गए अमर दुबे की पत्नी को जमानत देने से  इनकार कर दिया। पुलिस की एक टीम दो जुलाई, 2020 की रात गैंगस्टर विकास दुबे के घर पर दबिश देने के लिए पहुंची थी। इसी दौरान विकास दुबे ने अपने गुर्गों के साथ मिलकर पुलिस दल पर हमला कर दिया जिसमें आठ पुलिसकर्मी मारे गये थे और छह अन्य घायल हो गये थे। इस हमले में अमर दुबे भी शामिल था जो बाद में मुठभेड़ में मारा गया था।

न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने अमर दुबे की पत्नी खुशी द्वारा दाखिल पुनरीक्षण याचिका खारिज कर दी। यह याचिका निचली अदालत द्वारा जमानत की अर्जी खारिज किए जाने के खिलाफ दाखिल की गई थी। याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि घटना के दिन खुशी की उम्र करीब 16 साल 10 महीने थी और इस घटना से कुछ ही दिन पूर्व उसका विवाह विकास दुबे के रिश्तेदार अमर दुबे से हुआ था।

वकील ने कहा कि वह विकास दुबे के गिरोह की सदस्य नहीं थी, बल्कि उसका पति विकास का रिश्तेदार था और घटना के दिन वे लोग विकास के घर गए थे। वकील ने दावा किया कि इस घटना में उसकी (खुशी) कोई भूमिका नहीं थी। राज्य सरकार के वकील ने जमानत याचिका का इस आधार पर विरोध किया कि घटना में जीवित बचे पुलिसकर्मियों के बयान के मुताबिक, "हमले में खुशी सक्रिय रूप से शामिल थी और वह किसी भी पुलिसकर्मी को नहीं छोड़ने के लिए लोगों को उकसा रही थी।"

संबद्ध पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने कहा, "इस मामले की परिस्थितियों पर गौर करने से यह तथ्य दिमाग में आता है कि जिस कृत्य में याचिकाकर्ता शामिल थी, वह कोई साधारण कृत्य नहीं था। आठ पुलिसकर्मियों की हत्या और छह पुलिसकर्मियों को घायल करना एक भयानक अपराध है जिससे समाज की रूह कांप गई। इस घटना ने सरकार की जड़ें हिला दी थी।"

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