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वाराणसी पुल हादसा: सात इंजीनियर और एक ठेकेदार गिरफ्तार

15 मई को वाराणसी में राज्य सेतु निगम द्वारा बनाये जा रहे चौकाघाट लहरतारा फ्लाईओवर के बीच का हिस्सा अचानक गिर जाने से उसके नीचे दबकर 15 व्यक्तियों की मौत हो गई थी।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: July 28, 2018 23:30 IST
चित्र का इस्तेमाल...- India TV Hindi
Image Source : PTI चित्र का इस्तेमाल प्रतीक के तौर पर किया गया है।

लखनऊ: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में पिछली 15 मई को एक निर्माणाधीन पुल का हिस्सा ढहने के कारण कई लोगों के हताहत होने की घटना में आज सात इंजीनियर और एक ठेकेदार समेत आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस महानिदेशक ओम प्रकाश सिंह ने रविवार को बताया कि उत्तराखंड के रूड़की के सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीटयूट के वैज्ञानिकों की सहायता से एकत्र किये गये तकनीकी सुबूतों के आधार पर यह कार्रवाई की गयी है। 

उन्होंने कहा कि '' जांच में यह पाया गया कि गत 15 मई को ढहे इस पुल के निर्माण में कई खामियां थीं, जिसके बाद जांच अधिकारी ने आरोपी इंजीनियरों से पूछताछ की और बाद में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।'' सिंह ने बताया कि गिरफ्तार इंजीनियरों में तत्कालीन मुख्य परियोजना प्रबंधक हरिश्चन्द्र तिवारी, पूर्व मुख्य परियोजना प्रबंधक गेंदा लाल, परियोजना प्रबंधक- कुलजश राय सूदन, सहायक अभियंता राजेन्द्र सिंह, सहायक अभियंता (यांत्रिक/सुरक्षा) राम तपस्या सिंह यादव, अवर अभियन्ता (सिविल)- लालचंद सिंह, अवर अभियंता (सिविल)- राजेश पाल सिंह और ठेकेदार साहेब हुसैन शामिल हैं। इन सभी को न्यायिक अभिरक्षा में भेजा गया है। 

मालूम हो कि 15 मई, 2018 की शाम को वाराणसी में राज्य सेतु निगम द्वारा बनाये जा रहे चौकाघाट लहरतारा फ्लाईओवर पिलर संख्या 79 और 80 के बीच का हिस्सा अचानक गिर जाने से उसके नीचे दबकर 15 व्यक्तियों की मौत हो गई थी तथा 11 अन्य घायल हो गए थे। वाराणसी के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कार्यालय से प्राप्त जानकारी के मुताबिक इस घटना के सम्बन्ध में 16 मई को रोडवेज चौकी प्रभारी की लिखित सूचना पर उत्तर प्रदेश सेतु निगम की इस परियोजना से जुड़े अधिकारियों एवं कर्मचारियों तथा ठेकेदारों के विरूद्ध मामला दर्ज किया गया था। जिला पुलिस की अपराध शाखा इस मामले की जांच कर रही थी। 

जांच में यह पता चला कि यह सेतु निगम के अधिकारियों एवं ठेकेदारों द्वारा उक्त कार्य के दौरान स्पष्ट रूप से इंजीनीयरिंग मानको की अनदेखी एवं उनका कड़ाई से अनुपालन ना किया जाना, सुरक्षा मानको को पूरा ना किया जाना, सम्भावित नुकसान का आकलन ना करनाा एवं अन्य तकनीकी खामियाँ प्रकाश में आई। तफ्तीश में यह भी पता चला कि सेतु निगम के जिम्मेदार अधिकारियों ने इन सभी बिन्दुओं के बारे में समय-समय पर निरीक्षण नहीं कराया गया। जो भी निरीक्षण किये गये, उनमें निर्देशों का पालन सुनिश्चित नहीं कराया गया। अगर इंजीनियरिंग एवं सुरक्षा के मानकों का पालन किया गया होता तो कभी ऐसी गंभीर घटना नहीं होती।

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