लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में शिक्षा मित्रों को लेकर कुछ फैसले किए गए थे। कैबिनेट के फैसले को लेकर शिक्षा मित्र नाराज हैं और उन्होंने कहा है कि सरकार नए नियम बनाकर शिक्षामित्रों की राह और मुश्किल बना रही है। ज्ञात हो कि योगी सरकार ने मंगलवार को कैबिनेट की बैठक में यह फैसला किया था कि उप्र में प्राइमरी का अध्यापक बनने के लिये टीईटी पास करना अनिवार्य होगा। साथ ही अलग से एक लिखित परीक्षा भी पास करनी पड़ेगी।
कैबिनेट के इस फैसले को लेकर शिक्षा मित्रों ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी ने अपने संकल्प पत्र में शिक्षामित्रों के हितों का ध्यान रखने का वादा किया था, ऐसे में सरकार नए नियम बनाकर शिक्षामित्रों की राह मुश्किल कर रही है।
शिक्षा मित्रों ने कहा कि सरकार के इस निर्णय के खिलाफ आंदोलन की रणनीति तैयार की जा रही है जिसमें माध्यमिक से लेकर बेसिक स्कूलों तक के शिक्षक शामिल होंगे। इसके लिए कई शिक्षक विधायकों से बात चल रही है। सरकार ने पौने दो लाख शिक्षामित्रों के हितों के साथ खिलवाड़ कर न्याय नहीं किया।
आदर्श शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र शाही ने कहा कि शिक्षकों की भर्ती लिखित परीक्षा से करने का फैसला कर भाजपा सरकार ने साफ कर दिया कि वह शिक्षामित्रों का भला नहीं चाहती। भाजपा सरकार चाहती ही नहीं कि शिक्षामित्र अध्यापक बनें। वहीं, बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने कहा है कि सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद राज्य सरकार ने लिखित परीक्षा का निर्णय लेकर शिक्षामित्रों को मौत के मुंह में ढकेल दिया है।
उन्होंने कहा कि शिक्षामित्र पहले ही कोर्ट के फैसले के कारण निराश थे और अब सरकार ने उन्हें दोहरे तरीके से मारा है। न सिर्फ टीईटी बल्कि अब लिखित परीक्षा का भी दबाव रहेगा।