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उत्तर प्रदेश: गंगा आस्था ही नहीं, अर्थव्यवस्था भी- सीएम योगी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पांच, कालीदास मार्ग स्थित अपने आवास से 27 से 31 जनवरी तक निकलने वाली गंगा यात्रा के रथ को हरी झंडी दिखाई और 'थीम सांग' लॉन्च किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि गंगा आस्था का प्रतीक है।

Reported by: Bhasha
Published on: January 23, 2020 14:48 IST
CM Yogi- India TV Hindi
Image Source : PTI (FILE) गंगा आस्था ही नहीं, अर्थव्यवस्था भी- सीएम योगी

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को कहा कि गंगा हमारी आस्था ही नहीं, अर्थव्यवस्था भी है। इस बात को ध्यान में रखकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रेरणा से प्रदेश सरकार गंगा यात्रा शुरू कर रही है। सीएम योगी ने कहा कि गंगा भारत की नदी संस्कृति की प्रतीक है। इसके तट पर सभ्यताएं विकसित हुईं और परम्पराएं आगे बढ़ी हैं। संस्कृति के एक लम्बे प्रवाह ने दुनिया को जीने की कला सिखाई, इसलिए हम सबका दायित्व बनता है कि गंगा की स्वच्छता के प्रति आम लोगों को जागरुक किया जाए।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पांच, कालीदास मार्ग स्थित अपने आवास से 27 से 31 जनवरी तक निकलने वाली गंगा यात्रा के रथ को हरी झंडी दिखाई और 'थीम सांग' लॉन्च किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि गंगा आस्था का प्रतीक है। सनातन काल से हर भारतीय गंगा को अपनी परम्परा एवं विरासत का हिस्सा मानता रहा है। गंगा के प्रति अपने दायित्व के निर्वहन के लिए 2014 में वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि ''मैं मां गंगा के लिए यहां आया हूं।''

उन्होंने गंगा मां के प्रति अपनी अटूट आस्था को व्यक्त करते हुए नमामि गंगे परियोजना को पूरे देश में लागू किया। योगी ने कहा कि मां गंगा देश के पांच राज्यों में 2,525 किलोमीटर की यात्रा तय करती है। इसमें 1,025 किलोमीटर की सबसे ज्यादा दूरी उत्तर प्रदेश में तय करती है इसलिए स्वाभाविक रूप से इसकी स्वच्छता की सबसे बड़ी जिम्मेदारी हम सबकी है, जिसको देखते हुए प्रदेश सरकार ने उत्तर प्रदेश के अंदर मां गंगा की अविरलता एवं निर्मलता के लिए कई कदम उठाए हैं।

उन्होंने कहा कि कानपुर के सीसामऊ नाले में प्रतिदिन 14 करोड़ लीटर सीवर गिरता था। 128 वर्षों से यह सिलसिला चला आ रहा था। नमामि गंगे परियोजना के तहत आज एक बूंद भी सीवर गंगा जी में नहीं बह रहा है। उन्होंने कहा कि एक वक्त था जब कानपुर में जाजमाऊ के बाद एक भी जलीय जीव नहीं बचा था। नमामि गंगे परियोजना का परिणाम है कि आज वहां बड़ी-बड़ी मछलियां पाई जा रही हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि गंगा और उसकी सहायक नदियों को कारण उत्तर भारत देश की सबसे उर्वर भूमि के रूप में विकसित हुआ। गंगा बेसिन से देश के 40 प्रतिशत भू-भाग को पर्याप्त जल उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि सरकार ने यह तय किया है कि जिन जिलों से गंगा यात्रा निकलेगी, वहां के 21 नगर निकायों एवं 1038 ग्राम पंचायतों में आने वाले समय में जैविक खेती होगी। गंगा के तटवर्ती क्षेत्रों में गंगा पार्क, गंगा तालाब और गंगा मैदान का निर्माण किया जाएगा। 

उन्होंने कहा कि बगैर गंगा मईया की स्वच्छता के प्रयागराज में दिव्य एवं भव्य कुम्भ संभव नहीं था। विगत वर्ष कुम्भ में लगभग 25 करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम में स्नान करके इस आयोजन को एक नई ऊचाइयां दी। कई दशकों के बाद प्रधानमंत्री मोदी के कारण श्रद्धालुओं को यह अवसर प्राप्त हो पाया था। इस अवसर पर मुख्यमंत्री के साथ कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, जल शक्ति विभाग के मंत्री महेंद्र सिंह, गन्ना मंत्री सुरेश राणा, पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री नीलकंठ तिवारी, जल शक्ति विभाग के राज्य मंत्री बलदेव सिंह औलख, मुख्य सचिव आरके तिवारी, अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी और डीजीपी ओपी सिंह मौजूद रहे।

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