लखनऊ। उत्तर प्रदेश में होने वाले पंचायत चुनाव 2021 को लेकर बड़ा अपडेट आया है। पंचायती राज विभाग ने उत्तर प्रदेश पंचायत आरक्षण मामले पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर यूपी में होने वाले आगामी पंचायत चुनाव को लेकर आरक्षण अधिसूचना जारी कर दी है। इसके बाद अब आगे की प्रक्रिया शुरू होगी। यूपी में पंचायत चुनाव में रोटेशन रिजर्वेशन लागू किया जाएगा, पिछले 5 निर्वाचन में हुए आरक्षण का संज्ञान लिया जाएगा।। अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने अधिसूचना को लेकर जानकारी देते हुए बताया कि 826 ब्लॉक, 58194 ग्राम पंचायतों में वॉर्डों की संख्या का गठन हो चुका है। पंचायत चुनाव में रोटेशन रिजर्वेशन लागू किया जाएगा, पिछले 5 निर्वाचन में हुए आरक्षण का संज्ञान लिया जाएगा। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कई बड़ी बातें सामने आयी हैं।
आरक्षण प्रक्रिया में अपनाया जाएगा चक्रानुक्रम का फार्मूला
सिंह ने कहा कि जो पद पहले कभी आरक्षित नहीं हुए, उन्हें वरीयता दी जाएगी। उन्होंने कहा, 'एससी, ओबीसी, महिला के क्रम में पिछले निर्वाचन को देखते हुए आरक्षण लागू किया जाएगा। शुक्रवार को जिला पंचायत अध्यक्षों और ब्लॉक प्रमुखों के पदों का आरक्षण जारी किया जाएगा। इसके अलावा जिले स्तर पर ग्राम पंचायतों का आरक्षण ज़ारी किया जाएगा।' पंचायत चुनाव में कोई भी पंचायत जातिगत आरक्षण से वंचित नहीं रहेगी। अब तक चक्रानुक्रम आरक्षण से ऐसी कई पंचायतें बची रह गईं, जिन्हें ना ओबीसी के लिए आरक्षित किया जा सका और न ही अनुसूचित जाति के लिए। ऐसे में इस बार आरक्षण प्रक्रिया लागू करने के लिए चक्रानुक्रम के तहत नया फार्मूला अपनाया जाएगा।
बता दें कि इस बार उत्तर प्रदेश के सभी 75 जिलों में एक साथ पंचायतों के वार्डों के आरक्षण की नीति लागू होगी। वर्ष 1995 में पहली बार त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था और उसमें आरक्षण के प्रावधान लागू किए गए थे लेकिन तब से अब तक हुए पांच पंचायत चुनावों में जिले के कई ग्राम पंचायतें ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत व जिला पंचायत अध्यक्ष के पद आरक्षित होने से वंचित रह गए। ऐसे में इस बार जिला पंचायत परिषद के सभी 20 वार्डों, ग्राम प्रधान के 244 , क्षेत्र पंचायत के 505 और वार्ड सदस्य के 3322 पदों के आरक्षण में चक्रानुक्रम फार्मूला अपनाया जाएगा।
अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह की ओर से जारी आदेश में सभी जिलाधिकारियों को कहा गया है कि नियमावली के अनुसार, पंचायतों में आरक्षण चक्रानुक्रम रीति से ही होगा लेकिन जहां तक हो सके, पूर्ववर्ती निर्वाचनों अर्थात सामान्य निर्वाचन वर्ष 1995, 2000, 2010 और वर्ष 2015 में अनुसूचित जनजातियों को आवंटित जिला पंचायतें अनुसूचित जनजातियों को आवंटित नहीं की जाएगी और अनुसूचित जातियों को आवंटित जिला पंचायतें अनुसूचित जातियों को आवंटित नहीं की जाएंगी। इसी तरह पिछड़े वर्गों को आवंटित जिला पंचायतें पिछड़े वर्गों को आवंटित नहीं की जाएंगी।
6 दिन में दर्ज करानी होगी आपत्ति
11 से लेकर 15 तारीख के बीच में जिला पंचायतों की 20 प्रतिशत सीटें आरक्षित होंगी। पूरे प्रदेश में 2 जिला पंचायत ऐसी थीं जो आज तक शेड्यूल कास्ट के लिए नहीं आरक्षित हुईं एवं 7 ऐसी जिला पंचायतें थीं जो महिलाओं के लिए आरक्षित नहीं हुईं। 826 ब्लॉकों में जिलेवार किस श्रेणी में आरक्षण होगा, यह राज्य स्तर पर जारी किया जाएगा एवं जिला पंचायतों की आरक्षण प्रक्रिया भी राज्य स्तर पर जारी होगी। पुरानी व्यवस्था के तहत चुनावों में शिक्षा आड़े नहीं आएगी। 2 मार्च से लेकर 8 मार्च तक, 6 दिन में आपत्ति दर्ज कराई जा सकती है। जिसे भी आपत्ति करनी है लिखित आपत्ति दर्ज करानी पड़ेगी।
आरक्षण व्यवस्था पर होगा खास ध्यान
बताया गया कि पिछले पांच चुनावों के वह पद किसके लिए आरक्षित था उसका संज्ञान लिया जाएगा। जिला पंचायत अध्यक्ष एवं वार्ड मेंबर क्षेत्र पंचायत के सदस्य ग्राम प्रधान एवं उनके सदस्य सभी के सीटों का निर्धारण किया जा चुका है। इस शासनादेश में उनके आरक्षण आवंटन की व्यवस्था घोषित की गई है। 2015 में आरक्षण की जो स्थिति है वह 2021 में नहीं होगी। जो पद शेड्यूल कास्ट या फिर शेड्यूल कास्ट महिला के लिए हैं, वे अनारक्षित व ओबीसी हो सकते हैं। कोई भी ऐसा पद जो आज तक शेड्यूल कास्ट के लिए आरक्षित नहीं किया गया है वह शेड्यूल कास्ट के लिए आरक्षित होगा। जैसे जिला पंचायत का कोई अध्यक्ष पद नहीं आरक्षित रहा है, वह आरक्षित हो सकता है फिर इसी तरह यह देखा जाएगा कि कोई ऐसा पद जो ओबीसी के लिए आरक्षित नहीं हुआ है वह ओबीसी के लिए आरक्षित होगा, फिर इसी तरह महिला आरक्षण को भी देखा जाएगा और इसी तरह से क्रम में आरक्षित किया जाएंगे।