लखनऊ/नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी के अवैध बूचड़खानों को बंद करने के फैसले के बाद राज्य के हजारों मांस विक्रेताओं ने सोमवार से अनिश्चितकाल के लिए अपनी-अपनी दुकानें बंद करना का एलान किया। अवैध बूचड़खाने बंद करने के राज्य सरकार के फैसले से 15,000 करोड़ रुपये का मांस कारोबार और इसमें लगे 25 लाख लोग प्रभावित हुए हैं। इस मुद्दे पर सोमवार को संसद में गर्मागर्म बहस भी हुई और केंद्र सरकार का कहना है कि उत्तर प्रदेश में सिर्फ अवैध बूचड़खानों को बंद करवाया जा रहा है।
हालांकि राज्य के मांस विक्रेताओं का आरोप है कि पुलिस दुकानों पर छापेमारी कर रही है और वैध लाइसेंस होने के बावजूद जबरदस्ती दुकानें बंद करवाई जा रही हैं। मांस विक्रेताओं ने कहा कि बूचड़खानों को बंद करवाए जाने से मांस की आपूर्ति में कमी आई है।
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लखनऊ बकरा गोश्त व्यापार मंडल के मुबीन कुरैशी ने पत्रकारों से कहा, "हमने अपनी हड़ताल तेज करने का फैसला लिया है। सभी मांस की दुकानें बंद रहेंगी। बूचड़खानों को बंद करवाए जाने से लाखों लोगों के सामने आजीविका का संकट आ खड़ा हुआ है।" राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश के नोएडा में मांस की दुकानें तो खुली मिलीं, लेकिन दुकानदारों का कहना है कि उनकी आमदनी पहले से आधी रह गई है। नोएडा एक्सटेंशन के शाहबेरी में मांस विक्रेता चांद कुरैशी ने आईएएनएस से कहा, "मैं रोज जितना मांस बेच लेता हूं, उसका आधा ही बेच पाया हूं।"
उन्होंने बताया कि गाजियाबाद में कुछ जगहों पर मांस विक्रेताओं को दुकान पर पर्दा डालने के लिए कहा गया है। यह आरोप तब आ रहे हैं जब राज्य सरकार ने पुलिस को सतर्कता बरतने की चेतावनी दी है। राज्य सरकार के प्रवक्ता एवं स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने सोमवार को कहा कि कार्रवाई सिर्फ अवैध बूचड़खानों पर हो रही है, लाइसेंस वाले बूचड़खाने चलाने वालों को डरने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में बड़े पैमाने पर अवैध बूचड़खाने चल रहे थे।
सिंह ने प्रेसवार्ता में कहा, "वैध बूचड़खानों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। वैध लाइसेंस वाले बूचड़खाने चलाने वालों को डरने की जरूरत नहीं है। वैध बूचड़खानों को तय मानकों का पालन करना ही होगा।" मंत्री ने कहा, "हमने काम शुरू कर दिया है। यह पहली सरकार है, जिसने बिना कैबिनेट की बैठक के 150 फैसले लिए हैं।" उन्होंने बताया कि चिकन और अंडे बेचने पर सरकार ने कोई रोक नहीं लगाई गई है और लोग सोशल मीडिया पर चल रही खबरों पर ध्यान न दें। यह ध्यान दिलाने पर कि अवैध बूचड़खाने बंद होने से सैकड़ों परिवार भुखमरी की हालत में पहुंच गए हैं, सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि जनता की भूख की चिंता तो पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को करनी चाहिए थी। वह जवाब दें कि अब तक उन्होंने सभी बूचड़खानों का लाइसेंस क्यों नहीं बनवाया।
उधर लोकसभा लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान केंद्रीय वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमन ने कहा कि उत्तर प्रदेश में सिर्फ अवैध बूचड़खाने ही बंद होंगे और इन्हें बंद किए जाने पर कोई दो राय नहीं है। सीतारमन ने एक पूरक प्रश्न के उत्तर में कहा, "उत्तर प्रदेश में अवैध बूचड़खानों को बंद किया जा रहा है। मुझे लगता है कि माननीय सांसद भी नहीं चाहते होंगे कि अवैध बूचड़खाने चालू रहें।" उन्होंने कहा, "मुख्यमंत्री (आदित्यनाथ योगी) ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अवैध बूचड़खानों की बात कर रहे हैं। इस पर दो राय नहीं है।" पूरक प्रश्न उठाने वाले ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष व हैदराबाद से लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में अवैध बूचड़खानों को जल्दबाजी में बंद करने की बजाय सरकार को उन्हें नियमन के लिए समय देना चाहिए।
ओवैसी ने संसद से बाहर कहा, "यह पूर्ववर्ती समाजवादी पार्टी (सपा) की सरकार की गलती है कि उसने बूचड़खानों को नियमित नहीं किया। (नई) सरकार को उन्हें बंद करने की बजाय नियमित किए जाने के लिए समय देना चाहिए।" उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि उत्तर प्रदेश में न केवल अवैध, बल्कि कुछ वैध बूचड़खाने भी बंद किए जा रहे हैं।