लखनऊ: उत्तर प्रदेश में जेलों की सूरत बदलनी का सिलसिला लगातार जारी है। राज्य में जिला कारागार लखनऊ, गौतमबुद्धनगर, आजमगढ, चित्रकूट और बरेली को हाईटेक करते हुए सरकार ने अपराधियों को सुरक्षित निगरानी में रखने के लिए कारागारों को आधुनिक सुविधाओं के साथ लैस कर दिया है। ड्रोन कैमरे से लेकर डीप सर्च मेटल डिटेक्टर तक की व्यवस्था इन कारागारों में की गई है। इन पांच जिला कारागारों में आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर इन्हें बेहतर बना दिया गया है।
इसके तहत जेलों की मुख्य प्राचीर की मेनवॉल पर कन्सरटीना फैन्सिंग कराई गई है। हर कारागार में एक-एक अदद् नॉन लिनियर जंक्शन डिटेक्टर ,एनएलजेडी और पांच ड्रोन कैमरा लगाए गए हैं। यही नहीं, पांच नाइट विजन बाइनाकुलर, 25 हैंड हेल्ड मेटल डिटेक्टर भी लगाए गए हैं। इन उपकरणों को हाईवोल्टेज से क्षतिग्रस्त होने से बचाने के लिए हैवी ड्यूटी स्टैब्लाइजर रखा गया है, ताकि इन उपकरणों को कोई नुकसान न हो सके। जिला कारागार लखनऊ में 48 अतिरिक्त उच्च मेगापिक्सल के सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं।
सीसीटीवी सर्विलांस इकाइयों की बात करें, तो प्रदेश के सभी कारागारों में सीसीटीवी सर्विलांस इकाइयां स्थापित की गई हैं। साथ ही प्रदेश के सभी कारागारों में 30-30 कैमरे लगे हैं। वर्तमान की बात करें तो 55 कारागारों में 04/05 मेगा पिक्सल के 220 अतिरिक्त कैमरे लगे हैं। सभी कारागारों में 3080 कैमरे स्थापित हैं। इन कैमरों की फीड मुख्यालय वीडियो वॉल/कमाण्ड सेण्टर में देखने की व्यवस्था है। यानि राजधानी से सूब के सभी कारागारों की लाइव फीड मुख्यालय में सीधे देखी जा सकती है। यही नहीं, बंदियों की निगरानी के लिए अत्याधुनिक पोल मेटल डिटेक्शन सिस्टम लगाया गया है। जिसके तहत प्रदेश के सभी कारागारों में एफजी-1 मेटल पोल डिटेक्शन सिस्टम स्थापित किया गया है। सभी कारागारों में एक-एक मल्टीजोन डोरफ्रेम और 3-5 की संख्या में हैण्डहेल्ड मेटल डिटेक्टर भी स्थापित कर दिए गए हैं।
महानिरीक्षक कारागार आनंद कुमार ने बताया कि प्रदेश सरकार ने सभी कारागारों में आन्तरिक संचार व्यवस्था के लिए इंटरकाम प्रणाली की व्यवस्था की है। बंदियों को एक साथ संबोधित किया जा सके, इसके लिए पब्लिक एड्रेस सिस्टम की व्यवस्था की गई है। मल्टी मीडिया प्रोजेक्टर के साथ-साथ गुड प्रिजन प्रैक्टिस के प्रचार प्रसार और फोटोग्राफी के लिए सभी कारागारों को डिजिटल कैमरे दिए गए हैं। अब कारागारों में बंदियों के मनोरंजन के लिए एलईडी टेलीविजन के साथ-साथ ठंड में गीजर की भी सुविधा उपलब्ध कराई गई है।
उत्तर प्रदेश सुरक्षा मुख्यालय के माध्यम से कारागारों में विभिन्न स्थानों पर जमीन के नीचे, नालियों, टेरिस और अन्य स्थानों पर छिपाई गई बड़ी या छोटी से छोटी धात्विक सामग्री की विश्वसनीय तलाशी के लिए डीप सर्च मेटल डिटेक्टर की सुविधा दी गई है। प्रदेश की सभी कारागारों में दो या एक की संख्या में और प्रशिक्षण उपयोग के लिए डॉ. सम्पूर्णानन्द कारागार प्रशिक्षण संस्थान में कुल 121 डीप सर्च मेटल की व्यवस्था की गई है। कारागारों के अंदर संचार व्यवस्था को सु²ढ़ करने के लिए हैण्डहैल्ड और स्टैटिक वायरलेस सेट स्थापित किए गए हैं। वर्तमान में प्रदेश की सभी कारागारों में कम से कम 10 हैण्डहेल्ड और एक स्टैटिक सेट के साथ-साथ बड़े कारागारो में 20 हैंडसेट और 01 स्टैटिक सेट स्थापित हैं।
जेलों को अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस करने की वजह से ही विचाराधीन बंदियों की रिमांड के लिए प्रदेश की कारागारों और जनपद न्यायालयों में वीडियो कांफ्रेंसिंग इकाइयों की व्यवस्था कराई गई है। अभी तक प्रदेश में संचालित 75 जिलों में से 73 जनपद न्यायालयों और संचालित 70 कारागारों में इकाईयां स्थापित हैं। सीआरपीसी की धारा-167 (2) के अधीन विचाराधीन बन्दियों की रिमाण्ड की कार्यवाही इन इकाईयों के माध्यम से हो रही है। अभी तक लगभग 17 लाख बन्दियों की रिमाण्ड वीडियो कान्फ्रेन्सिंग के माध्यम से सम्पादित होने से जहां सुरक्षा जोखिम कम हुई है, वही शासकीय धन की बचत भी हुई है।
इनपुट-आईएएनएस