लखनऊ: उत्तर प्रदेश में मोदी लहर इतनी जबर्दस्त थी कि इस बार विधानसभा पहुंचने वाले मुसलमान विधायकों की संख्या काफी कम हो गयी है। ये अलग बात है कि मुस्लिम कार्ड खेलते हुए बसपा ने जहां सौ से अधिक मुसलमान प्रत्याशी बनाये, वहीं सपा ने भी बडी संख्या में मुसलमानों को टिकट दिया।
भाजपा ने एक भी मुसलमान को नहीं दिया टिकट
यह अलग बात है कि भाजपा ने एक भी मुसलमान को टिकट नहीं दिया लेकिन बसपा ने 100 से अधिक और सपा ने 59 से अधिक मुसलमान प्रत्याशी मैदान में उतारे। लेकिन केवल 24 मुस्लिम प्रत्याशी ही जीत पाये। बात 2012 की करें तो 64 मुसलमान प्रत्याशी विधायक बने थे।
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इस बार के चुनाव में सबसे अधिक 19 मुस्लिम प्रत्याशी सपा-कांग्रेस गठबंधन से जीते जबकि बसपा के महज पांच मुस्लिम प्रत्याशी ही विजयी हो सके।
इससे पहले 1991 में राम मंदिर मुद्दे की वजह से विधानसभा में केवल चार प्रतिशत मुस्लिम विधायक ही पहुंच पाये थे। उसके बाद हुए चुनावों में मुस्लिम विधायकों की संख्या में लगातार बढोत्तरी होती गयी लेकिन 2017 की मोदी लहर ने इस पर ब्रेक लगा दिया।
मुस्लिम बहुल आबादी वाले देवबंद में लहराया BJP का परचम
दिलचस्प पहलू ये भी है कि मुस्लिम बहुल आबादी वाले देवबंद में इस बार भाजपा का परचम लहराया। यहां भाजपा के कुंवर बृजेश ने बसपा के माजिद अली को 20 हजार मतों के अंतर से हराया।
रामपुर सीट बचाने में सफल रहे आजम खां
बड़े नामों की बात करें तो सपा सरकार में मंत्री रहे आजम खां रामपुर सीट बचाने में सफल रहे जबकि उनका बेटा अब्दुल्ला आजम स्वार सीट पर जीता। बाहुबली मुख्तार अंसारी मऊ सीट पर बसपा के टिकट पर विजयी हुए। उनके भाई और पुत्र चुनाव हार गये।