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UP Election 2017: बहनजी के सामने बागियों, पुराने बसपाइयों की चुनौती

लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में जीत के लिए राजनीतिक दल हर सम्भव समीकरण साधने में जुटे हुए हैं। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती एक ओर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के खेमे में सेंध

IANS
Published on: January 31, 2017 7:30 IST
MAyawati- India TV Hindi
MAyawati

लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में जीत के लिए राजनीतिक दल हर सम्भव समीकरण साधने में जुटे हुए हैं। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती एक ओर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के खेमे में सेंध लगा रही हैं, वहीं दूसरी ओर 'हाथी' का साथ छोड़कर अन्य पार्टियों में पहुंचे दिग्गज और टिकट पाने से वंचित रहे बसपाई भी उनके लिए परेशानी बन रहे हैं। बसपा सुप्रीमो मायावती एक-एक सीट के लिए समीकरण बना रही हैं, जबकि तकरीबन 40 सीटें ऐसी हैं, जहां पूर्व और विक्षुब्ध बसपाई हाथी को चुनौती दे रहे हैं।

बसपा के एक नेता ने नाम नहीं छापने की शर्त पर आईएएनएस से कहा, "मायावती पूर्वाचल में समाजवादी पार्टी (सपा) की रीढ़ तोड़ने में कामयाब हुई हैं। अफजाल अंसारी, मुख्तार अंसारी, नारद राय और अंबिका चौधरी के बसपा में आने से बलिया, गाजीपुर, मऊ, आजमगढ़ सहित एक दर्जन जिलों में राजनीतिक समीकरण प्रभावित हुए हैं।"

बकौल बसपा नेता, "लेकिन दूसरी ओर देखें तो स्वामी प्रसाद मौर्य, ब्रजेश पाठक और आर .के. चौधरी जैसे पुराने बसपाइयों के अलग होने और ऐन वक्त पर कई लोगों के टिकट कटने से पार्टी को नुकसान भी हुआ है। लिहाजा इन सीटों पर भीतरघात की भी आशंका है। ये लोग बहन जी के कोर ग्रुप में शामिल रहे हैं, लेकिन इस बार वे विरोधी पार्टियों के उम्मीदवार हैं, जिसका कितना असर पड़ेगा, यह कहना मुश्किल है।"

स्वामी प्रसाद मौर्य, बृजेश पाठक, आर.के.चौधरी और राजेश त्रिपाठी बसपा के दिग्गज थे, जो इस बार भाजपा के टिकट पर अपनी किस्मत अजमा रहे हैं।

बसपा में दूसरे नंबर के नेता रहे स्वामी प्रसाद मौर्य अब भाजपा के टिकट पर अपनी पुरानी सीट पडरौना से मैदान में हैं तो उनका बेटा भाजपा के टिकट पर ऊंचाहार से चुनाव लड़ रहा है। पडरौना में बसपा प्रत्याशी के लिए मौर्य एक बड़ी चुनौती हैं।

बृजेश पाठक लखनऊ मध्य से ताल ठोंक रहे हैं। हालांकि यह सीट उनके लिए नई है। यह सीट जीतने के लिए भाजपा के असंतुष्ट नेताओं को साधना पाठक के लिए बड़ी चुनौती है। भाजपा के लोग ही अंदरखाने उनकी राह में रोड़ा बन रहे हैं।

उधर, चिल्लूपार विधानसभा सीट से मौजूदा बसपा विधायक राजेश त्रिपाठी ने भाजपा का दामन थाम लिया है।

दूसरी तरफ बाहुबली अंसारी बंधुओं के परिवार के बसपा में आने के बाद मायावती ने तीन प्रत्याशियों के टिकट काट दिए हैं। मायावती ने मुख्तार अंसारी को मऊ सदर, शिवगुत्तलाह अंसारी को गाजीपुर की मोहम्मदाबाद और मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी को घोषी से टिकट दिए हैं। इन तीनों सीटों पर जिन उम्मीदवारों के टिकट काटे गए हैं, वे अब बसपा के खिलाफ खड़े नजर आ रहे हैं।

गाजीपुर की मोहम्मदाबाद सीट पर पहले विनोद राय को बसपा का टिकट मिला था, लेकिन अंसारी बंधुओं की वजह से उनका टिकट कट गया। राय ने आईएएनएस से कहा, "टिकट कटने के बाद मायावती ने मिलने के लिए बुलाया था। बातचीत के दौरान मैंने साफ तौर पर कहा कि मैं अंसारी बंधुओं का यहां विरोध करूंगा।"

गाजीपुर के अलावा घोंषी से मनोज राय का टिकट काटकर बसपा ने मुख्तार के बेटे अब्बास को उम्मीदवार बनाया है। टिकट मिलने के बाद अब्बास ने कहा कि घोंषी की जनता उनके साथ है और यहां के हिन्दू और मुसलमान मिलकर उनकी जीत की कहानी लिखेंगे। हालांकि यहां भी टिकट कटने से नाराज मनोज राय उनका विरोध कर रहे हैं।

अब्बास मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की वादा खिलाफी से नाखुश दिखे। उन्होंने कहा कि अखिलेश ने उनके परिवार को धोखा दिया है, जिसका जवाब जनता देगी।

उधर, सपा छोड़ बसपा में आए अम्बिका चौधरी और नारद राय भी अपनी-अपनी सीटों से मैदान में हैं, जहां से बसपा ने पहले ही प्रत्याशी घोषित कर दिए थे। मायावती को यहां भी विरोध झेलना पड़ रहा है। बलिया सदर सीट पर नारद राय के आने के बाद पहले से घोषित उम्मीदवार ने विरोध का बिगुल फूंक दिया है।

इसके अलावा दर्जन भर ऐसे विधायक हैं, जो दूसरे दलों के दामन थाम चुके हैं और मैदान में हैं। इनमें गाजियाबाद और फतेहपुर के प्रत्याशी भी शामिल हैं। इन सीटों पर पार्टी को नए प्रत्याशी के साथ मैदान में उतरना पड़ा है और तैयारी का मौका भी नहीं मिल पाया है।

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