लखनऊ:उत्तर प्रदेश में अवैध रूप से शराब बनाने और उसका कारोबार करने वालों के लिए अधिकतम मौत की सजा दिये जाने का प्रावधान किया गया है। शराब से जुड़े अवैध कामों के लिए जेल और आर्थिक दंड की पुरानी व्यवस्था में संशोधन कर उन्हें कठोर बनाया गया है। उसमें नयी धारा 60 (क) जोड़ने का प्रस्ताव है जिसमें अवैध शराब से मौत एवं स्थायी अपंगता होने की स्थिति में अपराधी को उम्रकैद अथवा दस लाख रुपये का आर्थिक दंड अथवा दोनों अथवा मौत की सजा देने का प्रावधान किया गया है।
यह फैसला मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में लिया गया। इस संबंध में आज सरकारी प्रवक्ता द्वारा जारी बयान में कहा गया कि प्रदेश में अवैध शराब के कारोबार से एक ओर जहां राजस्व की हानि हो रही है वही दूसरी ओर अवैध शराब के जहरीले होने और उसके सेवन से जनहानि की घटनायें भी हुई हैं। इस संबंध में कैबिनेट की बैठक में विचारोपरान्त यह पाया गया कि उत्तर प्रदेश आबकारी अधिनियम 1910 की धाराओं के प्रावधान पुराने हैं, जिन्हें यदि कठोर कर दिया जाये तो अवैध शराब की तस्करी और अवैध निर्माण और कारोबार पर प्रभावी नियंत्रण हो सकेगा। अत: प्रदेश के व्यापक राजस्व हित एवं जनहित में उत्तर प्रदेश आबकारी अधिनियम 1910 की धाराओं में संशोधन करते हुये कठोर दंड का प्रावधान किया जाना आवश्यक हो गया है। उक्त के दृष्टिगत अध्यादेश के माध्यम से उत्तर प्रदेश आबकारी अधिनियम 1910 की विभिन्न धाराओं में संशोधन किया गया है तथा एक नयी धारा 60 (क) जोड़ी गयी है।
सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि आबकारी विभाग प्रदेश में वाणिज्यकर विभाग के बाद राजस्व अर्जन करने वाला दूसरा सबसे बड़ा विभाग है। वर्ष 2016-17 में आबकारी विभाग द्वारा 14,272 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया गया है। विगत वर्षो में आबकारी विभाग के निर्धारित राजस्व लक्ष्य के सापेक्ष प्राप्ति में कमी आई है। इस कमी का मुख्य कारण पड़ोसी राज्यों विशेषकर हरियाणा राज्य से प्रदेश में अवैध मदिरा की तस्करी है।