गोरखपुर: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के जरिए हम सबको मिलकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन के अनुरूप भारत को विश्व गुरु बनाने का सपना साकार करने में योगदान देना है। मुख्यमंत्री योगी शुक्रवार को महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के 88वें संस्थापक सप्ताह समारोह के शुभारंभ अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा, ‘34 साल बाद एक ऐसी शिक्षा नीति आई है, जिसमें ज्ञान के सिर्फ सैद्धांतिक पक्ष ही नहीं, व्यावहारिकता का भी पूरा ध्यान रखा गया है। इस शिक्षा नीति को समग्र रूप में अंगीकार कर महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की 45 से अधिक शैक्षिक संस्थाएं अलग-अलग पहलुओं पर कार्यक्रम बनाकर अपना पूरा योगदान देंगी।’
योगी ने कहा, ‘श्री गोरक्षापीठ के शैक्षणिक प्रकल्प महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद को अपने शताब्दी समारोह के लिए अभी से अगले 10-11 वर्ष के कार्यक्रमों का लक्ष्य तय करना होगा, प्रति वर्ष इसका आकलन करना होगा। देश का भविष्य तय करने का अधिकार देश की शिक्षण संस्थाओं को होना चाहिए। यह बहुत महत्वपूर्ण वर्ष है। कोरोना की चुनौतियों से जूझते हुए भी देश ने अनेक उपलब्धियां हासिल की हैं। देश की सीमाओं पर हम मजबूती के साथ गौरव को आगे बढ़ा रहे हैं। अयोध्या में श्रीराम मंदिर का निर्माण ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ व अवेद्यनाथ का सपना था, इस वर्ष मंदिर निर्माण के शुभारंभ के साथ भारत की जनता को करीब पांच सौ वर्षो के बाद सांस्कृतिक विजय मिली है।’
यूपी के सीएम ने कहा, ‘इस वर्ष कोविड-19 ने कड़ी चुनौती पेश की तो कई अवसर भी दिए। हरेक नागरिक ने बचाव के तरीकों के साथ तकनीकी का महत्व भी समझना प्रारम्भ किया। छोटे-छोटे बच्चे तकनीकी से तालमेल करते हुए वर्चुअल पढ़ाई कर रहे हैं। अब हमें और आगे बढ़ना होगा।’ इस अवसर पर उन्होंने पूर्वी उत्तर प्रदेश में 1977 से 2017 तक कहर बरपाने वाली इंसेफ्लाइटिस पर काबू पाने का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, ‘हर वर्ष 600 से 1500 तक बच्चों की इंसेफ्लाइटिस के चलते जुलाई से सितंबर महीने तक मौत हो जाती थी। 2017 से हमने समन्वित प्रयास, जनसमुदाय की सहभागिता और पीएम के स्वच्छ भारत मिशन के जरिए इस बीमारी के खिलाफ लड़ाई जीती है। पिछले 3 वर्षो में अंतर्विभागीय समन्वय से इंसेफेलाइटिस से होने वाली मौतों में 95 प्रतिशत की कमी आई है।’ (IANS)