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क्या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चमक खोते जा रहे हैं?

योगी के एक करीबी ने बताया, मुख्यमंत्री के वफादारों ने हालांकि चिन्हित किया कि योगी को अपने आसपास लोग पसंद नहीं हैं और वह अधिकारियों से तेज और स्थापित प्रणाली के तहत काम करने को कहते हैं...

Reported by: IANS
Updated : April 10, 2018 17:56 IST
yogi adityanath
yogi adityanath

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक साल से अधिक समय से सत्ता पर काबिज रहने के बाद क्या तेजी से अपनी चमक खोते जा रहे हैं? बहुत से लोगों को ऐसा लगता है। उनके सार्वजनिक आचरण, सहकर्मियों और आम जनता के साथ उनके बर्ताव की शिकायतों ने गोरखपुर से पांच बार लोकसभा सांसद रहे योगी की चमक तेजी से फीकी की है। पिछले सप्ताह, 24 वर्षीय अयुष बंसल ने गोरखपुर में मीडिया के सामने आकर योगी द्वारा जनता दरबार में उसका मजाक बनाने का खुलासा किया था। बंसल जनता दरबार में जमीन हड़पने के मामले की शिकायत लेकर गए थे। इस मामले में नौतनवा से निर्दलीय विधायक अमनमणि त्रिपाठी संलिप्त हैं।

उसने मुख्यमंत्री पर उसे आवारा कहने और उसकी फाइल को हवा में उछालने के साथ उसे धक्का देने का भी आरोप लगाया। बंसल ने बताया, "महाराजजी गुस्से में मेरी तरफ बढ़े और कहा कि तेरा काम कभी नहीं होगा और मुझे उनकी नजरों के आगे से चले जाना चाहिए।" अधिकारियों ने हालांकि मामले को संभालने की कोशिश की और कहा कि मामले की जांच की जा रही है। तथ्य यह है कि आदित्यनाथ के बतौर मुख्यमंत्री इस बर्ताव का न तो अधिकारियों ने खंडन किया और न ही सत्ताधारी पार्टी ने।

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इस वाकये को समाप्त हुए कुछ वक्त ही हुआ था कि सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (BJP) के दो सांसदों ने भी योगी के इसी तरह के बर्ताव की शिकायत की। रॉबर्ट्सगंज से भाजपा सांसद छोटेलाल खरवार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे एक पत्र में आदित्यनाथ पर उन्हें डांटने और बाहर निकलने के लिए कहने का आरोप लगाया। सांसद ने कहा कि वह मुख्यमंत्री के बर्ताव से बहुत दुखी हैं। उन्होंने कहा कि वह उनका ध्यान पार्टी के वफादारों के सामने खड़े मुद्दों पर आकर्षित करने की कोशिश कर रहे थे।

सांसद ने अपने पत्र में कहा है, "स्थानीय प्रशासन ने कभी मेरी शिकायतें नहीं सुनी और जब मैं कई मुद्दों पर मुख्यमंत्री से दो बार मिलने गया तो उन्होंने मुझे डांटकर भगा दिया।" एक ऐसे शख्स के साथ इस तरह का बर्ताव होना चौंकाने वाला है, क्योंकि वह भाजपा के एससी/एसटी मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष हैं।

वहीं इटावा के सांसद अशोक दोहरे ने भी भारत बंद के दौरान एससी और एसटी लोगों के खिलाफ झूठे मामले दर्ज करने के लिए राज्य पुलिस पर आरोप लगया और मोदी को इसकी लिखित शिकायत की। जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने मुख्यमंत्री से शिकायत क्यों नहीं की तो उन्होंने कहा कि वह मोदी को अपना नेता मानते हैं और इसलिए उन्होंने उनसे शिकायत की है।

पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने भी महाराजजी का बदलता बर्ताव पाया है। उन्हें लगता है कि योगी का बदलता मिजाज और फिसलती जुबान के पीछे उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य को संभालना एक कारण हो सकता है। एक वरिष्ठ नौकरशाह ने भी मुख्यमंत्री पर अधिकारियों के साथ बहुत कटु रहने का आरोप लगाया है।

योगी के एक करीबी ने बताया, "मुख्यमंत्री के वफादारों ने हालांकि चिन्हित किया कि योगी को अपने आसपास लोग पसंद नहीं हैं और वह अधिकारियों से तेज और स्थापित प्रणाली के तहत काम करने को कहते हैं। जब भी कोई हादसा होता है तो वह अपना आपा खो देते हैं।"

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