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भविष्य की सियासत के संकेत और कई बड़े सवालों के जवाब देंगे यूपी उपचुनाव के नतीजे

इन नतीजों से जहां कोरोना संकट के दौरान सरकार व भाजपा संगठन की तरफ से किए गए कामों के दावों का सच सामने आएगा, वहीं विपक्ष की तरफ से सरकार के खिलाफ उठाए गए मुद्दों का असर भी दिखेगा। 

Written by: IANS
Published : November 09, 2020 16:05 IST
UP Bye Election results will answer many future questions । भविष्य की सियासत के संकेत और कई बड़े सवा
Image Source : PTI UP Bye Election Results: भविष्य की सियासत के संकेत और कई बड़े सवालों के जवाब देंगे यूपी उपचुनाव के नतीजे

लखनऊ. उत्तर प्रदेश में इन दिनों हुई सियासी उठापटक के बीच आ रहे उपचुनाव के नतीजे भविष्य की सियासत के संकेत देंगे। वर्तमान परिस्थितियों तथा समीकरणों ने उपचुनाव के नतीजों को अहम बना दिया है। राज्यसभा चुनाव में सपा और बसपा के बीच जो कुछ हुआ, वह भी सियासी रूख तय करेगा। सत्ता पक्ष को लगता है कि राममंदिर के रूप में उसके पास मजबूत विकल्प पहले से मौजूद हैं।

क्या भाजपा के काम के दावों पर लगेगी मुहर?

इन नतीजों से जहां कोरोना संकट के दौरान सरकार व भाजपा संगठन की तरफ से किए गए कामों के दावों का सच सामने आएगा, वहीं विपक्ष की तरफ से सरकार के खिलाफ उठाए गए मुद्दों का असर भी दिखेगा। उपचुनाव के पहले प्रदेश में कई महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रम हुए। मसलन, राज्यसभा चुनाव में नौ सदस्य निर्वाचित कराने की ताकत होते हुए भी भाजपा का सिर्फ आठ उम्मीदवार उतारना। बसपा का आश्चर्यजनक तरीके से एक उम्मीदवार का पर्चा भरवाना तथा सपा का बसपा विधायकों में तोड़फोड़ कराना।

सियासी पार्टियों के रिश्तों भी होंगे तय
सात सीटों के परिणाम से ये संकेत भी सामने आएंगे कि प्रदेश के भविष्य की सियासत और सियासी पार्टियों के रिश्तों तथा उनके संभावित समीकरणों की दिशा व दशा क्या होगी। 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा, बसपा और कांग्रेस सियासी बिसात पर भाजपा के खिलाफ अपने मोहरे अलग-अलग ही चलने वाले हैं या कोई किसी से मिलकर खेल खेलेगा।

2022 चुनाव से पहले सेमीफाइनल
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक प्रसून पांडेय बताते हैं कि वैसे उपचुनाव को सत्ता पक्ष का माना जाता है। लेकिन जब 2022 में मुख्य चुनाव होने हैं, ऐसे में इस उपचुनाव को सेमीफाइनल माना जा रहा है। यदि सत्तारूढ़ दल को सफलता मिलेगी तो उसे अपने कामकाज पर भरोसा होगा। वहीं अगर विपक्ष को सफलता मिलेगी तो कार्यकतार्ओं का मनोबल बढ़ेगा। आगे आने वाले समय में यह चुनाव नतीजे सियासी सफर की तस्वीर को साफ करेंगे।

विपक्ष के सवालों में कितना असर?
उन्होंने बताया कि कुछ घटनाओं को लेकर विपक्ष की तरफ से ब्राह्मणों की उपेक्षा व उत्पीड़न को लेकर सरकार की घेराबंदी तथा हाथरस जैसी घटनाओं के सहारे विपक्ष, खास तौर से कांग्रेस व भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर की पार्टी का सरकार को कठघरे में खड़ा करना तथा कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर उठाए गए सवालों का जनता में असर भी इन नतीजों से सामने आएगा। पता चलेगा कि कांग्रेस के सड़कों पर संघर्ष तथा राहुल गांधी व प्रियंका गांधी वाड्रा की यूपी में सक्रियता का जनता में कुछ असर हुआ है या नहीं।

कौन है मुख्य विपक्षी दल?
अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली सपा स्वयं को स्वाभाविक रूप से मुख्य विपक्षी दल मानती है। पिछले लोकसभा चुनाव के नतीजों के आधार पर यह दावा बसपा भी करने लगी है। लेकिन इधर प्रियंका गांधी वाड्रा की कांग्रेस भी सड़क पर कूदकर अपनी दावेदारी मजबूत कर रही है। अब तीनों खुद को एक दूसरे पर बीस साबित करने के प्रयास में लगे है। इस कारण उपचुनाव के नतीजे बहुत महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं।

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