बांदा: उत्तर प्रदेश के बांदा जिले की अतर्रा तहसील स्थित एक सरकारी गोशाला में कथित रूप से भूख और ठंड से कम से कम 9 गायों की मौत हो गई। इस मामले में गोशाला के 2 कर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया है। प्रशासन का कहना है कि गायों की उम्र बहुत ज्यादा थी, जिसकी वजह से उनकी मौत हुई, मगर गोशाला में गायों का इलाज करने पहुंचे चिकित्सक का कहना है कि गायों की मौत भूख और ठण्ड से हुई है।
अतर्रा के उपजिलाधिकारी (SDM) सौरभ शुक्ला ने शुक्रवार को बताया कि अतर्रा में नगर पालिका द्वारा संचालित कान्हा पशु आश्रम केन्द्र में मरे गोवंशीय पशु बहुत बूढ़े थे और परिसर में खासी गंदगी थी, इसी वजह से 9 गायों की मौत हो गई। इस मामले में गोशाला के सफाई नायक और प्रभारी को सस्पेंड कर दिया गया है। ठंड के कारण गायों की मौत से इनकार करते हुए शुक्ला ने कहा कि अन्ना गायें तो वैसे भी बहुत वृद्ध होती हैं, जिन्हें उनके मालिक सड़क पर छोड़ देते हैं। वे अपने घर पर होती तो भी मरतीं। अब वे गोशाला में मरी हैं।
उन्होंने कहा कि यह बात दूसरी है कि एक दिन में ज्यादा संख्या में गायें मर गई हैं। एक-एक करके मरती तो कोई मुद्दा नहीं होता। उधर, बीमार गोवंशीय पशुओं का इलाज कर रहे पशु चिकित्सक डॉक्टर योगेंद्र कुमार ने कहा कि ज्यादातर गायों की मौत भूख और ठंड से हुई है। उन्होंने कहा कि चारा रखने के बर्तन की ऊंचाई ज्यादा होने के कारण बड़ी और स्वस्थ गायें तो चारा खा लेती हैं, लेकिन छोटे और कमजोर गोवंशीय पशु भूखे रह जाते हैं। यहां कोई टिनशेड न होने के कारण भी ज्यादातर गायें ठंड लगने से बीमार हो गई हैं।
कुमार ने बताया कि करीब एक दर्जन गायों की मौत हो चुकी हैं और 2 दर्जन से ज्यादा बीमार हैं। किसी भी मृत गाय का पोस्टमॉर्टम नहीं किया गया। नगर पालिका के कर्मचारियों ने उनके शव यूं ही फेंक दिए हैं। इस बीच, कुछ गायों के शव ट्रैक्टर-ट्रॉली में लादकर फेंकने लिए जा रहे गोशाला के प्रबंधक सन्तोष कुमार ने स्वीकार किया कि मृत गायों के शव बिना पोस्टमॉर्टम कराए ही फेंके गए हैं। गोशाला में तैनात कर्मचारी रज्जी ने बताया कि यहां करीब 400 गोवंशीय पशु हैं, लेकिन कर्मचारियों की कमी और चारे की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने के कारण जानवर मर रहे हैं।