लखनऊ: उन्नाव रेप केस मामले में आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की मुश्किलें 28 जुलाई को रायबरेली के गुरबख्शगंज थाना क्षेत्र में हुए सड़क हादसे के बाद बढ़ गईं है। उन्नाव की बांगरमऊ विधानसभा सीट से विधायक कुलदीप सिंह सेंगर का बीजेपी के साथ 2017 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले शुरू हुआ सियासी सफर गुरुवार को खत्म हो गया।
बता दें कि सड़क हादसे के तारों को कुलदीप सिंह सेंगर के साथ जोड़कर देखा जाने लगा है और आरोप लगने लगे कि जेल में बंद सेंगर ने साजिश के तहत इस वारदात को अंजाम दिलाया है। विपक्ष ने इन आरोपों को मुद्दा बनाया और बीजेपी पर चौतरफा हमला शुरू कर दिया जिसके बाद बीजेपी ने कुलदीप सिंह सेंगर को पार्टी से निकाल दिया। सेंगर को पार्टी से पहले सस्पेंड किया गया था लेकिन गुरुवार को उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया।
बसपा ने दिखाया था बाहर का रास्ता
कुलदीप सिंह सेंगर की राजनीति में शुरुआत कांग्रेस से हुई थी। हालांकि, जब वर्ष 2002 में विधानसभा चुनाव आए तो कुलदीप सिंह ने कांग्रेस को छोड़कर बसपा का दामन थाम लिया। सेंगर ने उन्नाव सदर से चुनावी मैदान में कांग्रेस के प्रत्याशी को बड़े अंतर से मात दे दी। बाहुबली की छवि बनाने की वजह से 2007 से पहले बसपा प्रमुख मायावती ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया। इसके बाद सेंगर ने सपा का दामन थामकर बांगरमऊ से जीत दर्ज की। वर्ष 2012 में कुलदीप सिंह सेंगर ने भगवंतनगर सीट पर सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की।
सपा से नाता तोड़ बीजेपी में ली एंट्री
2017 के विधानसभा चुनाव से पहले कुलदीप सिंह सेंगर सपा से नाता तोड़ बीजेपी में शामिल हो गए। बीजेपी ने उन्हें बांगरमऊ विधानसभा सीट से प्रत्याशी घोषित किया और उम्मीद के अनुरूप कुलदीप सिंह सेंगर ने यह सीट जीतकर पार्टी की झोली में डाल दी।
गौरतलब है कि कुलदीप सिंह सेंगर उस समय चर्चा में आए, जब उन पर और उनके भाई अतुल सिंह सेंगर पर 11 से 20 जून 2017 के बीच एक महिला ने गैंगरेप का आरोप लगाया था। इसके बाद जब मामले ने तूल पकड़ा तो आरोपियों पर मामला दर्ज किया गया और इसकी जांच एसआईटी को सौंपी गई। कुलदीप के भाई अतुल पर पीड़िता के पिता की जेल में घुसकर पिटाई करने का आरोप भी लगा। पीड़िता के पिता ने कुछ दिनों बाद इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था।