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बनारस में खुला अनोखा कचरा बैंक, पैसों से भरेगा आपकी जेब

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में पयार्वारण को शुद्ध रखने के लिए यहां एक अनोखा बैंक खुला है। इसमें प्लास्टिक के कचरे से लेन-देन होता है।

Reported by: IANS
Published : April 05, 2021 13:55 IST
बनारस में खुला कचरा...
Image Source : IANS बनारस में खुला कचरा बैंक, पैसों से भरेगा आपकी जेब

वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में पयार्वारण को शुद्ध रखने के लिए यहां एक अनोखा बैंक खुला है। इसमें प्लास्टिक के कचरे से लेन-देन होता है। यह प्लास्टिक शहर के लोग, प्लास्टिक वेस्ट बैंक के वालिंटियर, उपभोक्ता यहां लाकर जमा करते हैं। प्लास्टिक कम है तो उसे उस प्लास्टिक के कचरे के बदले कपड़े का झोला या फेस मास्क दिया जाता है। प्लास्टिक अधिक मात्रा में लाने पर वजन अनुसार पैसे दिए जाते है। यह बैंक कचरे के बदले लोगों की जेब भरने में सहायक हो रहा है।

वाराणसी में मलदहिया स्थित यह बैंक अपने आप में अनोखा बैंक है। इस बैंक का नाम 'प्लास्टिक वेस्ट बैंक' है। इस बैंक में प्लास्टिक के कचरे से लेन-देन होता है। ये प्लास्टिक शहर के लोग,प्लास्टिक वेस्ट बैंक के वालिंटियर, उपभोक्ता यहाँ लाकर जमा करते हैं। नगर आयुक्त गौरांग राठी के अनुसार पीपीई मॉडल पर केजीएन और यूएनडीपी काम कर रही है। दस मीट्रिक टन का प्लांट आशापुर में लगा है। करीब 150 सफाई मित्र काम कर रही है। पॉलीथीन शहर में बंद है। टेट्रा पैक और पानी की बोतलें चलन में है। जिसका निस्तारण इसे रिसाईकिल करके किया जा रहा है।

केजीएन कंपनी के निदेशक साबिर अली ने बताया की वे एक किलो पॉलीथिन के बदले 6 दिए जाते है। जो आठ से दस रूपया किलो बिकता है। शहर से रोजाना करीब दो टन पॉलीथिन कचरा एकत्र होता है। इसके अलावा 25 रुपया किलो पीईटी यानी इस्तेमाल की हुई पीने के पानी की बोतल खरीदी जाती है। प्रोसेसिंग के बाद यह करीब 32 -38 रुपया किलो बिकता है। उन्होंने बताया कि किचन में इस्तेमाल होने वाला प्लास्टिक बाल्टी, डिब्बे, मग आदि यानी पीपी, एलडीपी 10 रुपये किलो खरीदा जाता है जो चार से पांच रुपये की बचत करके बिक जाता है। कार्ड बोर्ड आदि रीसाइकिल होने वाला कचरा भी बैंक लेता है। इस बैंक में जमा प्लास्टिक के कचरे को आशापुर स्थित प्लांट पर जमा किया जाता है। प्लास्टिक के कचरे को प्रेशर मशीने से दबाया जाता है।

प्लास्टिक को अलग किया जाता जिनमे पीइटी बोतल को हाइड्रोलिक बैलिंग मशीन से दबाकर बण्डल बनाकर आगे के प्रोसेस के लिए भेजा जाता है। अन्य प्लास्टिक कचड़े को अलग करके उनको भी रीसाईकल करने भेज दिया जाता है। फिर इसे कानपुर समेत दूसरी जगहों पर भेजा जाता है जहां मशीन द्वारा प्लास्टिक के कचरे से प्लास्टिक की पाइप, पॉलिस्टर के धागे, जूते के फीते और अन्य सामग्री बनाई जाएगी। नगर निगम की इस पहल में प्लास्टिक के कचरे को निस्तारण के लिए इस बैंक का निर्माण हुआ है।

महामना मालवीय गंगा शोध केन्द्र बीएचयू के चेयरमैन वीडी त्रिपाठी ने बयताया कि पॉलीथीन जलाने पर कार्बन के मॉलिक्यूल छोटे और हल्के होते है जो नाक के अंदर घुस जाते हैं। उससे मनुष्य की सांस लेने की क्षमता कम हो जाती है। प्लास्टिक गलता भी नहीं है। इसे रिसाईकिल किया जाता है। यह जलीय अगर खाने में निगलने पर जीव का पेट फूल जाता है। उसकी मौत हो जाती है। सड़क में फेंकने से गाय व अन्य जानवर भी खाने से उनके लिए नुकसानदायक है। यह जहरीला होंने की अपेक्षा यह फिजिकल नुकसान पहुंचाता है। ऐसे बैंक बनने से बहुत ज्यादा फायदा होगा। यह लोग फैक्ट्री से संपर्क कर प्लास्टिक लिया जा सकता है। क्योंकि प्लास्टिक का उपयोग सड़कों में हो रहा है। ऐसे सेंटर बनने एक तरफ पर्यावरण की रक्षा होगी तो वहीं लोगों को रोजगार भी मिलेगा।

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