बरेली/पीलीभीत. पीलीभीत स्थित बाघ अभयारण्य क्षेत्र में हर समय चौकन्ना रहने की जरूरत है, ये घोषणाएं आए दिन वन विभाग के अधिकारी भी करते रहते हैं। रविवार को पीलीभीत में बाघ के हमले में दो बाइक सवरों की मौत हो गई जबकि तीसने ने पेड़ पर चढ़कर अपनी जान बचाई। दरअसल पीलीभीत के बाघ अभयारण्य क्षेत्र में घुंघचाई-दियूरिया मार्ग पर सड़क के किनारे झाड़ियों में घात लगाए बैठे बाघ ने मोटरसाइकिल सवारों पर हमला कर दिया। घटना में दो लोगों की मौत हो गयी।
पीलीभीत अभयारण्य के उप निदेशक नवीन खंडेलवाल ने सोमवार को कहा कि बीसलपुर तहसील क्षेत्र के दियोरिया गांव निवासी कंधई (42), अपने भतीजे सोनू (22) और रिश्तेदार विकास उर्फ मोनू के साथ पुवायां तहसील क्षेत्र के गांव जलालपुर स्थित अपनी ससुराल गया था। तीनों रविवार देर शाम मोटरसाइकिल से घर लौट रहे थे। रात होने के कारण दियोरिया रेंज के टूटा पुल बैरियर पर तैनात वन कर्मियों ने उन्हें रास्ते में रोका और जंगली जानवरों के खतरे से आगाह करते हुए रास्ते पर आगे जाने से मना किया।
उन्होंने बताया कि मोटरसाइकिल सवार वनकर्मियों को चकमा देकर असुरक्षित क्षेत्र में दाखिल हो गए और टूटा पुल बैरियर से करीब दो किलोमीटर की दूरी पर खनौत नदी पुल के पास सड़क किनारे झाड़ियों में घात लगाए बैठे बाघ ने उनपर हमला कर दिया। बाघ ने सोनू के सिर पर हमला किया जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गयी। बाघ कंधई को घटनास्थल से करीब आधा किलोमीटर अंदर जंगल में ले गया और उसे भी मार डाला।
खंडेलवाल ने बताया कि मोनू ने सूझबूझ का परिचय देते हुए पास में ही खड़े एक पेड़ पर चढ़कर अपनी जान बचाई। इस दौरान उसने फोन से घर पर संपर्क करने का प्रयास किया लेकिन जंगल में नेटवर्क की समस्या के कारण ऐसा नहीं हो पाया। सुबह आवागमन शुरू होने पर राहगिरों ने सड़क के किनारे सोनू का शव देखा और वन कर्मियों को सूचना दी। सूचना पर प्रभागीय वनाधिकारी नवीन खंडेलवाल, पुलिस क्षेत्राधिकारी लल्लन सिंह तथा अन्य अधिकारी मौके पर पहुंचे।
वन कर्मियों की मौजूदगी में पेड़ पर बैठे मोनू को नीचे उतारा गया। पुलिस ने दोनों शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिये हैं। खंडेलवाल के निर्देश पर बाघ का पता लगाने के लिये क्षेत्र में 20 कैमरे लगाने का काम शुरू कर दिया गया है। जंगल के अंदर प्रवेश से पहले वन चौकी के पास बैरियर लगाया गया है। वन्य जीव सुरक्षा व मानव वन्यजीव संघर्ष के मद्देनजर सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पहले सड़क पर आवागमन वर्जित रहता है। घटना के बाद मानव वन्यजीव संघर्ष की पुनरावृति न हो, इसको लेकर जंगल के अंदर दोपहिया वाहनों का प्रवेश बंद कर दिया गया।