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यह है देश का सबसे प्राचीन शहर, भगवान शिव ने बसाया था इसे

वाराणसी को 'बनारस' और 'काशी' भी कहते हैं। वाराणसी नाम यहां की दो स्थानीय नदियों 'वरुणा' नदी और 'असि' नदी के नाम से मिलकर बना है। ये नदियां गंगा नदी में क्रमशः उत्तर एवं दक्षिण से आकर मिलती हैं।

IndiaTV Hindi Desk
Published on: January 19, 2017 19:43 IST
Varanasi- India TV Hindi
Varanasi

वाराणसी को 'बनारस' और 'काशी' भी कहते हैं। वाराणसी नाम यहां की दो स्थानीय नदियों 'वरुणा' नदी और 'असि' नदी के नाम से मिलकर बना है। ये नदियां गंगा नदी में क्रमशः उत्तर एवं दक्षिण से आकर मिलती हैं। वाराणसी को हिन्दू धर्म में सर्वाधिक पवित्र नगरों में से एक माना जाता है और इसे अविमुक्त क्षेत्र कहा जाता है। इसके अलावा बौद्ध एवं जैन धर्म में भी इसे पवित्र माना जाता है। यह संसार के प्राचीनतम बसे शहरों में से एक और भारत का प्राचीनतम बसा शहर है। 

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वाराणसी की संस्कृति का गंगा नदी एवं इसके धार्मिक महत्त्व से अटूट रिश्ता है। ये शहर हजारों साल से भारत का, विशेषकर उत्तर भारत का सांस्कृतिक और धार्मिक केन्द्र रहा है। हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत का बनारस घराना वाराणसी में ही जन्मा और विकसित हुआ है। भारत के कई दार्शनिक, कवि, लेखक, संगीतज्ञ वाराणसी में रहे हैं। गोस्वामी तुलसीदास ने हिन्दू धर्म का परम-पूज्य ग्रंथ रामचरितमानस यहीं लिखा था और गौतम बुद्ध ने अपना पहला प्रवचन वाराणसी के पास सारनाथ में दिया था।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, काशी नगर की स्थापना भगवान शिव ने लगभग 5000 वर्ष पूर्व की थी। ये हिन्दुओं की पवित्र सप्तपुरियों में से एक है। स्कन्द पुराण, रामायण, महाभारत एवं प्राचीनतम वेद ऋग्वेद सहित कई हिन्दू ग्रन्थों में इस नगर का उल्लेख आता है। यह नगर मलमल और रेशमी कपड़ों, इत्रों, हाथी दांत और शिल्प कला के लिये व्यापारिक एवं औद्योगिक केन्द्र रहा है। प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेनसांग ने वाराणसी को धार्मिक, शैक्षणिक एवं कलात्मक गतिविधियों का केन्द्र बताया है और इसका विस्तार गंगा नदी के किनारे 5 कि.मी. तक लिखा है।

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