लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा में 13 जुलाई को संदिग्ध पाउडर बरामद हुआ था। विधानसभा के भीतर कथित तौर पर PETN विस्फोटक पाउडर मिलने की खबर के बाद खासा हंगामा हुआ था। हालांकि जांच के बाद इस मामले में एक बड़ा खुलासा हुआ है। जांच में इस बात का पता चला कि इस पाउडर की जांच मार्च 2016 में एक्सपायर हुई किट से की गई थी। लखनऊ लैब की रिपोर्ट के आधार पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में मिले इस संदिग्ध पाउडर को PETN विस्फोटक बता दिया था।
बाद में FSL आगरा ने संदिग्ध पाउडर की दोबारा जांच करके बताया था कि विधानसभा में मिला पाउडर PETN नहीं था। इसके बाद से NIA मामले की जांच कर रही थी। डीजी (टेक्निकल सर्विस) महेंद्र मोदी द्वारा यूपी डीजीपी सुलखान सिंह को भेजी गई एक चिट्ठी से खुलासा हुआ है कि लखनऊ FSL के डायरेक्टर श्याम बिहारी उपाध्याय के द्वारा पाउडर की जांच के मामले में जानबूझ कर भ्रम फैलाया गया, जिसकी वजह से उपाध्याय को सस्पेंड करने की मांग की गई।
इस चिट्ठी में कहा गया है कि जांच के लिए एक्सपायर हो चुके किट का इस्तेमाल करके उपाध्याय ने राज्य पुलिस के मुखिया और सूबे की सरकार को गुमराह किया था। चिट्ठी के मुताबिक यह किट मार्च 2016 में ही एक्सपायर हो चुकी थी और FSL डायरेक्टर ही भ्रम फैलाने के लिए जिम्मेदार हैं, जबकि उन्हें मामले की पूरी जानकारी थी। सूत्रों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश के डीजीपी ने विस्तृत रिपोर्ट को 28 जुलाई को आगे की कार्रवाई के लिए भेजा दिया था, जिसमें राज्य गृह विभाग से उपाध्याय को सस्पेंड करने की सिफारिश की गई थी।