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श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामला: ईदगाह की खुदाई कर सर्वेक्षण कराने के लिए याचिका

अधिवक्ता ने अर्जी पेश कर पुरातत्व विभाग से सर्वेक्षण कराए जाने और ईदगाह की खुदाई कराकर सत्यता का पता लगाने का आदेश जारी करने का अनुरोध किया है। अदालत ने मामले में सुनवाई के लिए चार मई की तारीख तय की है।

Written by: Bhasha
Published : April 21, 2021 14:49 IST
A view of Sri Krishna Janmabhoomi temple and Shahi Idgah mosque, in Mathura
Image Source : PTI (FILE) A view of Sri Krishna Janmabhoomi temple and Shahi Idgah mosque, in Mathura

मथुरा. मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मस्थान मामले में अदालत में एक याचिका दाखिल कर शाही ईदगाह और आगरा किला की छोटी मस्जिद की खुदाई कराकर सत्यता जांचने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने सोमवार को दाखिल याचिका में श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर से शाही ईदगाह को हटाकर पूरी जमीन श्रीकृष्ण जन्मभूमि न्यास को सौंपने का अनुरोध किया है। अधिवक्ता ने अर्जी पेश कर पुरातत्व विभाग से सर्वेक्षण कराए जाने और ईदगाह की खुदाई कराकर सत्यता का पता लगाने का आदेश जारी करने का अनुरोध किया है। अदालत ने मामले में सुनवाई के लिए चार मई की तारीख तय की है।

ज्ञानवापी मस्जिद पर भी विवाद

आपको बता दें कि वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने के आदेश दिए हुए हैं। इसके विरोध में उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने जिला अदालत के फैसले के खिलाफ मंगलवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। वहीं ज्ञानवापी मस्जिद की प्रबंधन समिति ‘अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी’ ने सोमवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक अति आवश्यक अर्जी दाखिल कर स्थानीय अदालत के आदेश पर रोक लगाने की मांग की।

उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के स्थायी अधिवक्ता पुनीत कुमार गुप्ता ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, “हमने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ इलाहाबाद उच्च न्यायालय का आज रुख किया और एक याचिका दायर की।” उन्होंने कहा, “चूंकि इस मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने 15 मार्च 2021 को निर्णय सुरक्षित रख लिया है, ऐसे में निचली अदालत कैसे इस मामले पर सुनवाई कर आदेश पारित कर सकती है।” 

ल्लेखनीय है कि वाराणसी की एक स्थानीय अदालत ने गत आठ अप्रैल को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को मस्जिद के संपूर्ण परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण करने की अनुमति दी थी। मस्जिद कमेटी के वकील एसएफए नकवी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि निचली अदालत के आदेश में पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) कानून, 1991 आड़े आता है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में उच्च न्यायालय में पहले से सुनवाई चल रही थी और फैसला सुरक्षित रख लिया गया है।

नकवी ने कहा, ‘‘ उच्च न्यायालय में फैसला सुरक्षित रखे जाने के बावजूद निचली अदालत ने इस पर सुनवाई कर आदेश पारित किया जोकि गैर कानूनी है। हमारी उच्च न्यायालय से गुजारिश है कि वह इस मामले में निचली अदालत के फैसले पर रोक लगाए।’’ उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के स्थायी अधिवक्ता पुनीत गुप्ता ने कहा कि उच्च न्यायालय में सुनवाई के दौरान दूसरे पक्ष ने एक शपथ पत्र देकर कहा था कि वह इस मामले में निचली अदालत में सुनवाई आगे बढ़ाने का दबाव नहीं बनाएगा, लेकिन निचली अदालत में इस मामले पर सुनवाई जारी रही। नकवी ने कहा, ‘‘ तेजी से फैलते संक्रमण के मामलों को देखते हुए उच्च न्यायालय में केवल अति महत्वपूर्ण मामलों पर वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए सुनवाई हो रही है और हमने अदालत से इस मामले पर सुनवाई का अनुरोध किया है क्योंकि यह एक गंभीर मामला है।” 

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