लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव के लिए हालंकि कांग्रेस और समाजवादी पार्टी में गठबंधन हो गया है लेकिन पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी के गढ़ अमेठी और रायबरेली में सीट को लेकर दोनों दलों में अभी मतभेद हैं और इसे लेकर दोनों ज़बरदस्त सौदेबाज़ी कर रहे हैं।
चुनावी गठबंधन के तहत सपा ने 403 में से कांग्रेस को 105 सीटें दी हैं लेकिन कांग्रेस अमेठी-रायबरेली की सभी दस सीटों पर अपना दावा छोड़ने के बिल्कुल मूड में नही है। सूत्रों के मुताबिक़ सपा ने यहां से अपने पांच उम्मीदवार खड़े किए हैं और अब तक किसी से भी नाम वापस लेने को नही कहा है और ये कांग्रेस के लिए चिंता की बात है।
एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा, "सपा ने गठबंधन होने के पहले इन लोकसभा क्षेत्रों से पांच उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की थी लेकिन ये कोई नाम वापस नहीं लिया है जो स्थानीय कांग्रेसी नेताओं के लिए परेशानी का सबब है।"
दोनों पक्ष इस बात ( कांग्रेस-6, सपा-4) पर लगभग सहमत हैं लेकिन स्थानीय नेता और कार्यकर्ता अमेठी अथवा गौरीगंज को छोड़ने के लिए तैयार नही हैं जहां से सपा के उम्मीदवार खड़े हैं।
कांग्रेस है "सिटिंग MLA को मिले टिकट" फ़ार्मूले के ख़िलाफ़
इस कांग्रेसी नेता ने कहा, ''कांग्रेस एक तरफ जहां बड़ा हिस्सा चाहती है वही वह अपने उम्मीदवार भी ख़ुद तय करने की आज़ादी चाहती है। वह "सिटिंग MLA को मिले टिकट" फ़ार्मूले के ख़िलाफ़ है। पूर्व प्रदर्शन के आधार पर टिकट देने से विरोधियों को ही फ़ायदा होगा। स्थिति और जीत की संभावना का जायज़ा लिए बिना उम्मीदवार खड़े करना बीजेपी की मदद करने के समान होगा।"
उन्होंने रायबरेली में सारेनी का उदाहरण देते हुए बताया कि सपा ने यहां से अपने मौजूदा MLA को टिकट दिया है लेकिन यहां 2012 से हालात बदल गए हैं और अब उनके समर्थक ही उनके ख़िलाफ़ हो गए हैं। ऐसे में ये सीट BSP को जा सकती है। इस स्थिति में ज़रुरी है कि दोनों पक्ष हर सीट पर अपनी ताक़त और कमज़ोरियों को देखकर उम्मीदवार तय करे वर्ना गठबंधन से फ़ायदे की बजाय नुकसान हो जाएगा।
कांग्रेस की ''सह-नायक'' की भूमिका से कार्यकर्ता नाराज़
नाम गुप्त रखने की शर्त पर इस नेता ने कहा कि अमेठी और रायबरेली में टिकट के इच्छुक गठबंधन में कांग्रेस की ''सह-नायक'' की भूमिका को लेकर अपनी नाख़ुशी सरेआम ज़ाहिर कर चुके हैं। वे अब पार्टी आलाकमान के निर्देश का इंतज़ार कर रहे हैं। हमारी सूचना के मुताबिक़ बातचीत उच्च स्तर पर चल रही है। प्रियंका गांधी सपा नेतृत्व से बात कर रही हैं और हमें अच्छे नतीजे की उम्मीद है।
अमेठी-रायबरेली के अलावा लखनऊ में भी कुछ सीटों को लेकर भ्रम की स्थिति है।
कांग्रेस ने कई पाइंट्स और सीटों पर समझौता किया है
संपर्क करने पर कांग्रेस प्रवक्ता और उत्तर प्रदेश कांग्रेस समिति के महासचिव मारुफ़ ख़ान ने कहा कि हमारी पार्टी ने कई पाइंट्स और कई सीटों पर समझौता किया है लेकिन अमेठी और रायबरेली पारंपरिक रुप से कांग्रेस के मज़बूत गढ़ रहे हैं और कार्यकर्ताओं ने सालों से यहां मेहनत की है।
उन्होंने कहा कि जिस तरह कांग्रेस सपा के प्रभाव वाले क्षेत्रों में सीट मांगने की बात नहीं कर रही है, ठीक उसी तरह सपा को भी कांग्रेस का उन क्षेत्रों में सम्मान रखना चाहिये जिनका कांग्रेस के लिए बहुत महत्व है।
अमेठी-रायबरेली में सपा के पास दस में से आठ सीटें हैं और कांग्रेस की मांग मानने के लिए अपने मौजूदा विधायक का टिकट काटना पड़ेगा। यहां चौथे और पांचवे चरण में मतदान होना है इसलिए मसला हल होने में समय लग सकता है।