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उत्तर प्रदेश: SP और BSP को खटकी प्रियंका गांधी की सक्रियता, लगा वोटबैंक खिसकने का डर!

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की उत्तर प्रदेश में बढ़ रही सक्रियता समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को खटकने लगी है।

Written by: IANS
Updated on: January 04, 2020 12:23 IST
SP और BSP को खटकी प्रियंका गांधी की सक्रियता- India TV Hindi
Image Source : FILE SP और BSP को खटकी प्रियंका गांधी की सक्रियता

लखनऊ: कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की उत्तर प्रदेश में बढ़ रही सक्रियता समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को खटकने लगी है। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध के अलावा प्रदेश में हुई अन्य घटनाओं में प्रियंका गांधी ने न केवल बढ़चढ़ कर भाग लिया, बल्कि सपा-बसपा को मात दे दी। इससे दोनों दलों को अपने वोट बैंक खिसकने का डर सताने लगा है। इसीलिए मायावती ने तो प्रियंका गांधी पर हमले भी शुरू कर दिए हैं।

हालांकि, सपा ने अभी तक हमले नहीं किए, लेकिन वह यह दिखाना चाहते हैं कि केंद्र और प्रदेश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का मुकाबला सबसे तेज वही कर रहे हैं। इस कारण जो काम प्रियंका कर रही हैं, उनके पीछे साये की तरह वह भी कर रहे हैं। प्रियंका सीएए के विरोध में जेल गए समाजिक कार्यकर्ता एसआर दारापुरी के घर भी पहुंचीं। वहां पर उन्होंने स्कूटी से जाकर सुर्खियां बटोरी। इस मामले में बसपा का तो कोई बयान नहीं आया। जबकि, सपा ने एक कमेटी बनाई है, जो प्रदर्शन में बंद हुए लोगों से मिलने जाएगी।

इसके पहले भी प्रियंका उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता की मौत के बाद अपनी जरूरी बैठकें रद्द करके सीधा उन्नाव पहुंच गईं। इस दौरान उन्होंने पीड़िता के परिजनों से मुलाकात की। इस मामले में सपा और बसपा भी खासे चौकन्ने नजर आए। कांग्रेस इसकी अकेले बढ़त ले, उससे पहले ट्विटर से बाहर निकल कर अखिलेश यादव विधानभवन पहुंच कर धरने पर बैठ गए और बसपा मुखिया मायावती ने राजभवन में राज्यपाल को कानून व्यवस्था पर दखल के लिए कहा।

सोनभद्र में जुलाई में जमीन के विवाद में हुए सामूहिक नरसंहार के बाद कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी 19 जुलाई को पीड़ितों से मिलने के लिए पहुंच गईं। हालांकि, प्रशासन ने उन्हें बीच में ही रोक लिया था। उनकी इस भूमिका ने कांग्रेस को एक बार सुर्खियों में ला दिया था। इसके बाद भीम आर्मी से कांग्रेस की निकटता भी मायावती को परेशान कर रही है। इन सभी घटनाओं के बाद से बसपा खासकर ज्यादा चैकन्ना हो गई है। उन्होंने कांग्रेस को दलित विरोधी बताना शुरू कर दिया है। 

राजस्थान के कोटा में बच्चों की हुई मौतों को लेकर मायावती ने प्रियंका गांधी को घेरा है। वह लगातार ट्विटर के माध्यम से कांग्रेस को घेर रही है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय लल्लू ने कहा, "सोनभद्र में आदिवासियों के हत्याकांड पर बहनजी मौन, उन्नाव रेपकांड पर मौन, बाबा साहब के संविधान पर भी वह मौन रहती हैं। आखिर उनकी चुप्पी का क्या राज है? दलितों और पिछड़ों के उत्पीड़न पर भी वह खमोश हो जाती है। अखिर क्या वजह है?"

उन्होंने सपा पर निशाना साधा और कहा कि विपक्ष का काम होता है सड़क से लेकर सदन में आंदोलन करे। लेकिन जिस वक्त अखिलेश यादव को जनता के साथ खड़ा होना चाहिए उस समय वह ट्विटर पर व्यस्त हैं। वह केवल कोरी बयानबाजी कर रहे हैं। वहीं, सपा के प्रवक्ता राजेन्द्र चैधरी ने इस पर कोई बयान नहीं दिया बस इतना कहा कि यह उनका सोचना हो सकता है।

राजनीतिक विश्लेषक राजीव श्रीवास्तव ने कहा कि जिस प्रकार सीसीए के विरोध में प्रियंका खुलकर आई हैं, उससे सपा को मुस्लिम वोटों के बंटने का डर सता रहा है। इसी कारण वह सीसीए के विरोध में खुद को बढ़-चढ़कर पेश कर रहे हैं। वहीं, बसपा को मुस्लिम और दलित दोनों वोटबैंक खिसकने का डर है। कांग्रेस की सक्रियता से बसपा को अपने मूल वोट पर सेंधमारी का डर लगता है।

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