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यूपी में बड़ी पार्टियों से सौदेबाजी करने में जुटे छोटे दल, जानें क्या है इनकी अहमियत

वर्ष 2017 में 32 ऐसी छोटी पार्टियां थी जिनके प्रत्याशियों ने 5.000 से लेकर 50.000 तक वोट हासिल किए थे।

Reported by: Bhasha
Published : August 25, 2021 16:56 IST
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Image Source : PTI यूपी के आगामी विधानसभा चुनावों से पहले छोटी पार्टियां बीजेपी और समाजवादी पार्टी जैसे बड़े दलों के साथ सौदेबाजी करने में जुटी हैं।

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के सियासी गुणा-भाग पर असर डालने में सक्षम जातियों में अपनी पैठ रखने वाली एक दर्जन से ज्यादा छोटी पार्टियां राज्य के आगामी विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी जैसे बड़े दलों के साथ सौदेबाजी करने में जुटी हैं। खासकर पिछड़ी जातियों में असर रखने वाली यह पार्टियां भाजपा, सपा, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और कांग्रेस के लिए मुनाफे का सौदा साबित होती रही है क्योंकि जातीय समीकरण के चलते कुछ हजार वोट भी खेल बनाने और बिगाड़ने की ताकत रखते हैं।

2017 में 8 प्रत्याशी 1000 से कम वोट के अंतर से जीते थे

वर्ष 2017 में 32 ऐसी छोटी पार्टियां थी जिनके प्रत्याशियों ने 5.000 से लेकर 50.000 तक वोट हासिल किए थे। 6 ऐसे दल भी थे जिनके प्रत्याशियों ने 50,000 से ज्यादा वोट पाए थे। चुनाव आयोग के आंकड़ों से पता चलता है कि वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में विभिन्न पार्टियों के कम से कम 8 प्रत्याशी 1000 से कम वोट के अंतर से जीते थे। डुमरियागंज सीट से बीजेपी प्रत्याशी राघवेंद्र सिंह की बीएसपी उम्मीदवार सैयदा खातून पर 171 वोटों की जीत मतों की संख्या के लिहाज से सबसे नजदीकी थी। ऐसे में छोटी राजनीतिक पार्टियों की अहमियत बड़ी पार्टियों की नजर में काफी बढ़ जाती है।

बीजेपी के साथ सौदेबाजी करने में जुटी है निषाद पार्टी
यही वजह है कि समाजवादी पार्टी शुरू से कह रही है कि छोटी पार्टियों के लिए उसके दरवाजे खुले हुए हैं। उधर, बीजेपी भी अपने सहयोगी दलों, अपना दल, निषाद पार्टी और रिपब्लिकन पार्टी तथा बिहार की विकासशील इंसान पार्टी के साथ अपना गठबंधन बनाए रखने पर ध्यान दे रही है। मछुआरा समुदाय पर प्रभाव रखने वाली निषाद पार्टी बीजेपी के साथ सौदेबाजी में जुटी है। उसके मुखिया संजय निषाद बीजेपी से आगामी विधानसभा चुनाव में खुद को उपमुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर पेश करने की मांग कर रहे हैं। करीब आधा दर्जन लोकसभा क्षेत्रों में निषाद समुदाय यानी मछुआरा बिरादरी की खासी तादाद है।

अपना दल सोनेलाल का कुर्मी बिरादरी में है खासा प्रभुत्व
वहीं, अपना दल सोनेलाल का कुर्मी बिरादरी में खासा प्रभुत्व है। वर्ष 2018 में सपा ने निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद के बेटे प्रवीण को गोरखपुर लोकसभा सीट के उपचुनाव में टिकट दी थी और उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भाजपा के इस गढ़ में सेंध लगाते हुए यह सीट जीत ली थी। तब गोरखपुर सीट योगी के मुख्यमंत्री बनने के बाद उनके विधान परिषद सदस्य निर्वाचित होने के कारण रिक्त हुई थी। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी निषाद पार्टी को अपने साथ ले आई। उसने तब गोरखपुर से सांसद रहे प्रवीण निषाद को संत कबीर नगर से टिकट दिया और वह यहां भी जीत गए।

ओमप्रकाश राजभर ने किया भागीदारी संकल्प मोर्चा का गठन
वर्ष 2017 में बीजेपी ने अपना दल सोनेलाल और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP) से गठबंधन किया था। तब अपना दल ने 9 तथा SBSP ने 4 सीटें जीती थीं। SBSP अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर को योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया था लेकिन मुख्यमंत्री से तल्खी की वजह से वह बीजेपी से अलग हो गए थे। राजभर ने हाल ही में भागीदारी संकल्प मोर्चा का गठन किया है, जिसमें सांसद असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम भी शामिल है।

2017 के चुनाव में 290 पार्टियों ने आजमाई थी किस्मत
वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में 200 से ज्यादा पंजीकृत पार्टियों ने अपने उम्मीदवार खड़े किए थे। वहीं, 2017 के चुनाव में 290 पार्टियों ने किस्मत आजमाई थी। सपा के साथ राष्ट्रीय लोक दल, महान दल, जनवादी सोशलिस्ट पार्टी, तथा कुछ अन्य छोटे दल हैं। महान दल का शाक्य, सैनी, मौर्य तथा कुशवाहा बिरादरियों में प्रभाव माना जाता है। ऐसी अपेक्षा है कि इससे सपा को अति पिछड़े वर्ग के कुछ वोट मिल सकते हैं जो अन्य पिछड़ा वर्ग में 14% की हिस्सेदारी रखते हैं।

‘प्रसपा आगामी विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए तैयार है’
कभी सपा के कद्दावर नेता रहे शिवपाल सिंह यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया (प्रसपा) भी बीजेपी के खिलाफ एक गठबंधन तैयार करने की कोशिश कर रही है। प्रसपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता दीपक मिश्रा ने बताया, ‘पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव के लिए तैयार है। गठबंधन के लिए कई पार्टियों से बातचीत चल रही है। जल्द ही इस बारे में घोषणा होगी।’ सपा से गठबंधन की संभावना के सवाल पर मिश्रा ने कहा कि अखिलेश यादव की अगुवाई वाली पार्टी ने प्रसपा से गठबंधन करने से इंकार कर दिया है। उन्होंने कहा, ‘हम गैर भाजपावाद पर मजबूती से कायम रहेंगे।’

आम आदमी पार्टी भी लड़ेगी यूपी का विधानसभा चुनाव
विधानसभा चुनाव के लिए तैयार चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) भी छोटे दलों के साथ गठबंधन की कोशिश में है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली आम आदमी पार्टी ने भी उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव मैदान में उतरने का ऐलान किया है। पार्टी के उत्तर प्रदेश प्रभारी और राज्यसभा सांसद संजय सिंह हाल ही में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मिले थे। हालांकि संजय सिंह ने इसे एक शिष्टाचार भेंट बताया था।

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