कानपुर के निकट इटावा हाइवे पर पिछले 24 घंटे के भीतर दो एन्काउंटर हुए हैं। दोनों एन्काउंटर के बीच 24 घंटे का अंतर है। दो अलग अलग शख्स मारे गए हैं। लेकिन इसके बाद भी दोनों एन्काउंटर में ढेरों इत्तेफाक हैं, जो शक भी पैदा कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश के कानपुर में एक नाटकीय घटनाक्रम में मोस्ट वॉन्टेड गैंगस्टर विकास दुबे मारा गया है। बताया जा रहा है कि जिस एसयूवी से वह कानपुर लाया जा रहा था कि वह पलट गई। इससे पहले गुरुवार की अल सुबह फरीदाबाद से गिरफ्तार कर कानपुर लाया जा रहा विकास का साथी प्रभात भी एन्काउंटर में मारा गया था। उसकी कार पंचर हुई थी।
दोनों एन्काउंटर के बाद यूपी पुलिस एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गई है। यूपीके आला अधिकारियों ने कल और आज वही बयान दिया है जो अक्सर सभी एन्काउंटर के बाद सुनने को आता है। कानपुर पश्चिम के एसपी ने बताया कि वाहन दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद विकास दुबे ने घायल सिपाहियों से पिस्टल छीनने की कोशिश की। भाग रहे विकास दुबे को पुलिस ने सरेंडर के लिए कहा, जिस पर उसने पुलिस कर्मियों पर फायर कर दिया। जवाब में उसे पुलिस की गोली लगी।
जानिए दोनों एन्काउंटर में कितने हैं इत्तेफाक
- पहले इत्तेफाक की बात करें तो आज जहां विकास दुबे की गाड़ी का एक्सीडेंट हुआ है, वह वही कानपुर इटावा हाइवे है जहां कल प्रभात मिश्रा का एन्काउंटर हुआ था। इत्तेफाक यह भी है कि भौंती जहां विकास दुबे मारा गया और पनकी जहां प्रभात मारा गया, दोनों के बीच की दूरी मात्र 9 किमी. है और सबसे बड़ा इत्तेफाक है दोनों की एन्काउंटर कानपुर की सीमा में जाकर हुए हैं।
- इत्तेफाक यह भी है कि दोनों ही आरोपी कानपुर में हुई 8 पुलिस कर्मियों की हत्या के मामले में पकड़े गए थे। 3 जुलाई की रात चौबेपुर का पुलिस बल विकास दुबे को पकड़ने बिकरू गांव गया था। प्रभात पर भी पुलिस पर गोली चलाने का आरोप है।
- इत्तेफाक यह भी है कि दोनों गिरफ्तारियां उत्तर प्रदेश से बाहर हुई हैं। विकास दुबे को उज्जैन के महाकाल मंदिर से पकड़ा गया। वहीं प्रभात को फरीदाबाद से पकड़ा गया। इत्तेफाकन दोनों ही राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं।
- इत्तेफाक है कि हाइवे होने के बाद भी दोनों एन्काउंटर के वक्त कोई भी वहां मौजूद नहीं था। आज मीडिया की जो गाड़ियां विकास दुबे की गाड़ी के साथ झांसी से चल रही थीं, उन्हें भौंती के कुछ ही पहले सचेंडी में रोक दिया गया।
- इत्तेफाक है कि यूपी पुलिस की वे ही गाड़ियां खराब हो रही हैं जिसमें अपराधी सवार हैं। साथ ही इत्तेफाक यह भी है कि वे गाड़ियां कानपुर की सीमा में प्रवेश करते ही खराब या फिर दुर्घटनाग्रस्त हो रही हैं।
- इत्तेफाक है कि पुलिस इतने दुर्दांत अपराधियों को बिना हथकड़ी ला रही थी और यह इत्तेफाक ही था कि पुलिस की पिस्टल भी इन्हें हाथ लगी।
- इसके साथ ही आखिरी इत्तेफाक यह भी है कि पुलिस ने जब आत्मरक्षा में गोलियां चलाईं तो वे दोनों अपराधियों की जान ले गईं।
यूपी पुलिस को देने होंगे इन 10 सवालों के जवाब
- झांसी उरई से सुरक्षित रूप से पार करने के बाद कानपुर की सीमा में आने के बाद एसटीएफ के काफिले की गाड़ी कैसे पलटी? सिर्फ उसी गाड़ी का एक्सीडेंट कैसे हुआ जिसमें विकास सवार था।
- एक्सीडेंट होते ही जब विकास पुलिस के हथियार छीन कर भागा तो पुलिस ने उसे जिंदा पकड़ने की कोशिश क्यों नहीं की
- खबर है कि विकास दुबे के काफिले के साथ मीडिया की कुछ कारें आ रही थीं, उन्हें सचेंडी के पास क्यों रोका गया?
- क्या एसटीएफ ने विकास दुबे को लाते समय सावधानी नहीं बरती, जो उसने पुलिस से भिड़ने की हिम्मत जुटाई?
- क्या विकास दुबे ने पहले पुलिस पर गाली चलाई या पुलिस की ओर से उसे रोकने के लिए गोली चलाई गई?
- गुरुवार सुबह लगभग ऐसी ही परिस्थितियों में फरीदाबाद से गिरफ्तार कर लाया जा रहा प्रभात भी मारा गया था। उसे भी कानपुर सीमा के भीतर मारा गया, ऐसा इत्तेफाक कैसे?
- क्या मुठभेड़ में सीने पर गोली मारी जाती है? क्या पुलिस का मकसद उसे रोकना नहीं, जान से मारना था?
- विकास जब अस्पताल लाया गया तब उसके खून नहीं बह रहा था। क्या उसकी मौत अस्पताल लाने से पहले ही हो गई थी?
- विकास दुबे ने जिस प्रकार उज्जैन में खुद चिल्ला चिल्लाकर मीडिया के सामने गिरफ्तारी दी, उसने कानपुर आते ही भागने की कोशिश् क्यों की?
- क्या विकास को हथकड़ी नहीं लगाई गई थी? एसटीएफ से यह चूक कैसे हुई?
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