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UP: अपनों से मिलने की चाह में 700 किमी पैदल चलकर अपने घर पहुंचे 7 मजदूर

देश में जारी लॉकडाउन के बीच अपना रोजगार खो चुके मजदूरों की अपनों से जा मिलने की आस पूरी करने की पहाड़ सी जद्दोजहद का सिलसिला जारी है। ताजा मामला बलरामपुर का है, जहां सात श्रमिक 700 किलोमीटर पैदल चलकर सोमवार को अपने घर पहुंचे।

Reported by: Bhasha
Published on: April 20, 2020 19:54 IST
Representational pic- India TV Hindi
Representational pic

बलरामपुर (उप्र): देश में जारी लॉकडाउन के बीच अपना रोजगार खो चुके मजदूरों की अपनों से जा मिलने की आस पूरी करने की पहाड़ सी जद्दोजहद का सिलसिला जारी है। ताजा मामला बलरामपुर का है, जहां सात श्रमिक 700 किलोमीटर पैदल चलकर सोमवार को अपने घर पहुंचे। परिवार के लिए दो वक्त की रोटी जुटाने के लिए झांसी जिले में पत्थर तोड़ने का काम करने पहुंचे बलरामपुर के पचपेड़वा स्थित खादर गांव के निवासी सात मजदूरों का काम कोरोना संक्रमण के मद्देनजर लागू लॉकडाउन के कारण ठप हो गया।

उनके पास जो जमा पूंजी थी वह भी करीब 20 दिन में खत्म हो गई। लॉकडाउन बढ़ने और रोटी का संकट खड़ा होने पर सभी मजदूरों का हौसला जवाब दे गया और सभी मजदूर एक सप्ताह पहले करीब 700 किलोमीटर का सफर पैदल तय करने के लिए निकल पड़े। मजदूर शिव प्रसाद (35) बताते हैं, 'उनकी 80 वर्षीय मां की तबीयत खराब होने की सूचना मिली थी। मां बार बार याद कर रही थी। मां के पास जाने का इरादा करके वह झांसी से अपने साथियों के साथ अपने गांव के लिए पैदल निकले। उनके पास खाने पीने का सामान नहीं था लेकिन घर पहुचने का जूनन लेकर वहां से निकल पड़े। एक हफ्ते के सफर में तमाम परेशानियां आईं। कई बार हौसला जवाब दे गया लेकिन परिवार वालों का चेहरा देखने की लालसा में हौसले को फिर से इकठ्ठा कर सबके साथ चल दिए।'

शिव प्रसाद के साथी मजदूर प्रभुदयाल (28) ने बताया, '14 अप्रैल की सुबह सभी लोग झांसी से निकल पड़े। पहले तो उम्मीद थी कि कहीं न कहीं लखनऊ तक जाने के लिए वाहन मिल जाएगा लेकिन करीब 400 किलोमीटर का सफर तय करने के बाद भी उन्हें वाहन नहीं मिला। कई जगह वाहनों को आता-जाता देख, उन्हें रोकने की कोशिश की लेकिन कोई नहीं रुका। वाहन पकड़ने की कोशिश में उनका मोबाइल फोन भी कहीं गिर गया।'

शिव प्रसाद बताते है कि पिछले एक सप्ताह से अपने साथियों सहित लगातार पैदल सफर कर रहे हैं और थककर चूर हो जाने पर सिर्फ दो घण्टे आराम करने के बाद मंजिल की तरफ चल पड़ते। उन्होंने बताया कि रास्ते में कई बार पैरों में छाले पड़ते और फूटते रहे लेकिन परिवार से मिलने की आस के आगे ये तमाम तकलीफें कुछ भी नहीं थीं।

पुलिस अधीक्षक देव रंजन वर्मा ने बताया कि झांसी से चलकर अपने गाँव खादर जाने वाले सात मजदूरों की स्क्रीनिंग कराकर उन्हें उनके घर में ही 14 दिन के लिए पृथकवास में भेजा जा रहा है। उन्होंने बताया कि इन मजदूरों की निगरानी के लिए पुलिस टीम भी लगा दी गई है, जो 14 दिन लगातार इन पर नज़र रखेगी। उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस के खिलाफ चल रही जंग में कुछ दिनों बाद कामयाबी जरूर मिलेगी। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही इन मजदूरों की जिंदगी फिर से पटरी पर लौट आएगी लेकिन लॉकडाउन के समय व्यतीत किया गया वक्त और 700 किलोमीटर का थकाकर चकनाचूर कर देने वाला सफर किसी डरावने सपने से कम नहीं रहा होगा।

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