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धर्मांतरण के 8 आरोपियों के खिलाफ देशद्रोह के अपराध की भी धारा जुड़ी

शनिवार को मिली जानकारी के अनुसार एटीएस अदालत के विशेष न्‍यायाधीश राम गुप्ता ने आरोपियों की न्यायिक हिरासत की अवधि 14 सितंबर तक बढ़ा दी। जिन आरोपियों के खिलाफ अपराध की धाराएं बढ़ाई गई हैं उनमें मोहम्मद उमर गौतम, मुफ्ती काजी जहांगीर आलम कासमी, इरफान शेख उर्फ इरफान खान आदि शामिल हैं।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: September 04, 2021 22:29 IST
धर्मांतरण के 8 आरोपियों के खिलाफ देशद्रोह के अपराध की भी धारा जुड़ी - India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO धर्मांतरण के 8 आरोपियों के खिलाफ देशद्रोह के अपराध की भी धारा जुड़ी 

लखनऊ: आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) की अदालत ने अवैध धर्म परिवर्तन के मामले में जेल में बंद आठ आरोपियों के खिलाफ दर्ज मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 121 ए (देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने की साजिश) और 123 (युद्ध के इरादे से छिपाना) के अपराध की धाराओं को भी जोड़ा है।

शनिवार को मिली जानकारी के अनुसार एटीएस अदालत के विशेष न्‍यायाधीश राम गुप्ता ने आरोपियों की न्यायिक हिरासत की अवधि 14 सितंबर तक बढ़ा दी। जिन आरोपियों के खिलाफ अपराध की धाराएं बढ़ाई गई हैं उनमें मोहम्मद उमर गौतम, मुफ्ती काजी जहांगीर आलम कासमी, इरफान शेख उर्फ इरफान खान, सलाहुद्दीन उर्फ जैनुद्दीन शेख, प्रसाद रामेश्वर कांवरे, भूप्रिया विंदो उर्फ अर्सलान, कौसर आलम और डॉ फराज बाबुल्लाह शाह शामिल हैं।

इससे पहले इन आरोपियों को उत्तर प्रदेश अवैध धर्मांतरण निषेध कानून, 2021 की धारा 3/5/8 के साथ भादंसं की धारा 417, 120 बी, 153ए, 153बी, 295ए और 298 के तहत न्यायिक हिरासत में लिया गया था। बाद में एटीएस ने अदालत में एक आवेदन दायर कर दो और धाराओं को जोड़ने की मांग की और बृहस्पतिवार को अदालत ने इसे मंजूर कर लिया। अदालत में एटीएस ने यह दलील दी कि आरोपियों का गिरोह न केवल अवैध धर्मांतरण की गतिविधियों में शामिल था बल्कि इन लोगों ने विभिन्न धर्मों के बीच दुश्मनी को बढ़ाने देने की साजिश रची और देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता के लिए खतरा पैदा कर दिया।

एटीएस के जांच अधिकारी मोहन प्रसाद वर्मा ने मामले की जांच के दौरान आरोपियों के खिलाफ इस कथन को प्रमाणित करने के लिए साक्ष्य एकत्र करने का भी दावा किया। एटीएस ने आरोप लगाया कि गिरोह का विशिष्ट उद्देश्य धर्म विशेष की जनसंख्या को बढ़ाकर संवैधानिक व्यवस्था के विपरीत वर्तमान निर्वाचित सरकार को हटाकर इस्लामिक राज्य स्थापित करना है। इस मामले की अब तक की विवेचना एवं साक्ष्य से इन आरोपियों के खिलाफ भादंसं की धारा 121 ए व 123 का अपराध किया जाना पाया गया है। एटीएस ने इस मामले में 20 जून 2021 को लखनऊ के अपने विशेष थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी।

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