सहारनपुर: पिछले एक महीने में तीसरी बार हिंसा का शिकार हुए सहारनपुर में आज प्रदेश के गृह सचिव मणि प्रसाद मिश्रा समेत सीनियर अफसरों की टीम पहुंची। तपती धूप में अधिकारियों ने लोगों को समझाने की कोशिश की और हालात का जायजा लिया। गृह सचिव अपनी तरफ से लोगों को सुरक्षा और शांति बहाली का पूरा भरोसा दे रहे थे लेकिन लोगो उनकी बात मानने के लिए तैयार नहीं थे। लोगों के न मानने की वजह यह भी थी कि कई बार हालात एकदम सामान्य होने के बाद अचानक सबकुछ बदल जाता है।(ये भी पढ़ें: सर्जिकल स्ट्राइक पार्ट-2, देखिए कैसे 30 सेकेंड में सेना ने की पाकिस्तानी पोस्ट तबाह)
तपती गर्मी में गांववालों के बीच STF के IG अमिताभ यश भी हालात को समझने और लोगों को समझाने पहुंचे हैं। अमिताभ यश ने गांववालों से पानी मांगकर पीया और ये जानने की कोशिश करने लगे कि अब अगला कदम क्या हो जिससे हालात बिल्कुल समान्य हो जाए। ADG (लॉ एंड ऑर्डर) आदित्य मिश्रा भी गांवों का दौरा कर रहे हैं। आदित्य मिश्रा उन गांवों का दौरा कर रहे हैं जहां-जहां से हिंसा की खबर आ रही है या फिर हाइपर सेंसेटिव इलाका है।
दरअसल अधिकारियों को यह समझ में नहीं आ रही है कि एक तरफ तो हालात सामान्य होते दिखते हैं लेकिन अचानक कहीं न कहीं से हिंसा की खबर आ जाती है जिससे माहौल फिर से तनावपूर्ण हो जाता है। अधिकारियों के दौरे के बीच जनकपुरी थाने के चखारेटि गांव में ठाकुर समुदाय के अजीत नामक शख्स को गोली मारने की खबर आती है जिससे एकबार फिर माहौल तनावपूर्ण हो गया।
गृह सचिव मणि प्रसाद मिश्रा ने कहा कि हालात जल्द नियंत्रण में आ जाएंगे। फिलहाल सबकुछ सामान्य और शांत है। सोशल मीडिया में जो भी चल रही है उसकी मॉनिटरिंग की जा रही है। मुख्यमंत्री जी के निर्देश पर सबको भरोसा दिया जा रहा है कि जल्द ही सब ठीक हो जाएगा। अगले 24 से 48 घंटे में हालात नियंत्रण में आ जाएंगे।
वहीं आदित्य मिश्रा, एडीजी, लॉ एंड आर्डर ने कहा कि एक ऑर्गनाइजेशन जिसकी शुरुआत कुछ समय पहले दलितों की शिक्षा पर जोर देने के लिए इसका गठन हुआ था। लेकिन इस बीच ये बहुत ज्यादा एक्टिव हो गया है सोशल मीडिया में और यंगस्टर्स इसके मेंबर हो गए है, और जो दो तीन मामले आये है कि इसको मोबलाइजेशन के लिए यूज़ किया गया है। अभी चंद्र शेखर के खिलाफ जो मुकदमा दर्ज है उसकी जांच की जा रही है अगर कुछ सुबूत सामने आएंगे तो उसे जल्द ही गिरफ्तार किया जाएगा।
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आखिर भारत में इसे क्यों कहा जाता है ‘उड़ता ताबूत’?