लखनऊ: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश सरकार में कैबनेट मंत्री कमला रानी वरुण के निधन पर शोक प्रकट किया है। उन्होनें ट्वीट कर कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार की मंत्री श्रीमती कमला रानी वरुण जी के निधन से बहुत दुख हुआ। उनका पूरा जीवन समाजसेवा के प्रति समर्पित रहा। उन्होंने राज्य में भाजपा को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों और समर्थकों के साथ हैं।ओम शांति!
कमला रानी वरुण 18 जुलाई को कोरोना पॉजिटिव निकलीं थीं, जिसके बाद से उनका कोरोना का इलाज चल रहा था। लेकिन, फिर रविवार सुबह उनके निधन की खबर आई। वह घाटमपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुनी गई थीं।
उनका जन्म लखनऊ में 3 मई 1958 को हुआ था। उनकी शादी एलआईसी में प्रशासनिक अधिकारी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सदस्य किशन लाल वरुण से हुई थी। शादी के बाद वह कानपुर आईं। यहां उन्होंने 1977 के चुनाव में पहली बार बूथ पर मतदाता पर्ची काटने से काम की शुरुआत की थी। उन्होंने समाजशास्त्र से एमए की डिग्री हासिल की हुई है।
शादी के बाद उन्हें उनके पति किशनलाल ने बहुत प्रोत्साहित किया और उन्हीं के प्रोत्साहन पर वह आरएसएस द्वारा मलिन बस्तियों में संचालित सेवा भारती के सेवा केंद्र में बच्चों को पढ़ाने लगी और साथ ही गरीब महिलाओं को सिलाई, कढ़ाई तथा बुनाई का ट्रेनिंग देने लगीं। यहां से लोगों के बीच उनकी पहुंच बढ़ने लगी और लोग उन्हें जानने-पहचानने लगे।
फिर वह पहली बार 1989 में कानपुर के द्वारिकापुरी वार्ड से भाजपा के टिकट पर पार्षद का चुनाव जीतीं और कानपुर नगर निगम पहुंची। इसके बाद वह दोबार 1995 में भी इसी वार्ड से पार्षद निर्वाचित हुईं। फिर, भाजपा ने उन्हें 1996 में घाटमपुर (सुरक्षित) संसदीय सीट से टिकट दिया और वह चुनाव जीत हासिल कर लोकसभा पहुंच गई। वह 1998 में भी यहां से चुनाव जीतीं।
हालांकि, 1999 के लोकसभा चुनाव में उन्हें बसपा प्रत्याशी प्यारेलाल संखवार के हाथों 585 वोटों से हाल मिली। फिर, उन्हें साल 2012 में भाजपा ने रसूलाबाद (कानपुर देहात) विधानसभा सीट से टिकट दिया लेकिन वह जीत नहीं पाईं। 2015 में उनकी पति की मृत्यु के बाद 2017 में भाजपा ने उन्हें घाटमपुर सीट से चुनावी मैदान में उतारा और उन्होंने जीत हासिल की।