लखनऊ। उत्तर प्रदेश में 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं, इससे पहले ही यूपी में रोहिग्याओं की घुसपैठ की खबरें सामने आ रही हैं। क्या विधान सभा चुनाव पर रोहिग्याओं की नजर है? क्या उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर सीमा पार से साजिश रची जा रही है? क्या उत्तर प्रदेश में अपना ठिकाना बनाने की फिराक में है रोहिंग्या? इन सब सवालों के बीच UP ATS की पूछताछ में बड़ा खुलासा हुआ है।
अब तक 11 को किया गया गिरफ्तार
जी हां, पिछले कुछ दिनों से रोहिंग्याओं के खिलाफ यूपी एटीएस की ताबड़तोड़ कार्यवाही के बाद ये खुलासा हुआ है कि उत्तर प्रदेश में रोहिंग्या अपराधी अपना ठिकाना बनाने की फिराक में है। ऐसे में उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर खुफिया तंत्र अलर्ट पर है। दरअसल, यूपी एटीएस ने अवैध रोहिंग्या अपराधियों पर कड़ी कार्रवाई करते हुए अब तक 11 अपराधियों को गिरफ्तार किया है। उनके कब्जे से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बनाए गए पासपोर्ट, राशन कार्ड, वोटर कार्ड, आधार कार्ड, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस आदि बरामद किए गए हैं।
सुरक्षा एजेंसिया सतर्क
अवैध रूप से भारत में रह रहे बांग्लादेशी और रोहिंग्या को लेकर सुरक्षा एजेंसिया सतर्क हैं। गिरफ्तार हुए इन अपराधियों से पूछताछ में कई बड़े खुलासे हुए हैं। पूछताछ के दौरान पता चला है कि देश में आमिर हुसैन नामक वेंडर है जो अवैध तरीके से रोहिंग्या नागरिकों को भारत में एंट्री कराता है। वेंडर दिल्ली के खजूरी खास से ऑपरेट करता है। पुलिस के मुताबिक, रोहिंग्या और बांग्लादेशी नागरिकों को यूपी में ठिकाना बनाने के लिए प्रेरित किया गया है।
दी जाती है अच्छी खासी रकम
एटीएस सूत्रों के मुताबिक, रोहिंग्या और बांग्लादेशी नागरिकों को यूपी में ठिकाना बनाने के लिए तैयार किया जा रहा है। विधानसभा चुनाव से पहले इन सभी को राशन कार्ड और पैन कार्ड बनवा कर स्थाई सदस्यता दिलवाने की साजिश है, जिससे यूपी चुनाव में इनकी भागीदारी हो और एक बड़ा वोट बैंक तैयार किया जाए। इसके लिए इनको अच्छी खासी रकम भी दी जाती है।
एटीएस के लिए बहरूपियों की पहचान करना बना चुनौती
पुलिस के मुताबिक, प्रदेश में रह रहे रोहिंग्याओ की पहचान कर पाना इस वजह से मुश्किल होता है क्योंकि इनके पास आधार कार्ड और वोटर कार्ड अन्य राशन संबंधी कार्ड मौजूद रहते हैं। जिससे वह आम जनता में घुल-मिल जाते हैं और चुनाव में वोटिंग भी कर सकते हैं। ऐसे में एटीएस के सामने सबसे बड़ी चुनौती ऐसे बहरूपियों को पहचान कर उनके खिलाफ कार्यवाई करने की है।
चुनाव से पहले रोहिंग्याओं की घुसपैठ का क्या है असली मकसद?
एक बड़ा सवाल ये भी उठता है कि उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले बड़े पैमाने पर रोहिंग्या की घुसपैठ के पीछे का असली मकसद क्या है । क्या उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर सीमा पार से कोई साजिश रची जा रही है, क्योंकि अचानक जिस तरह से रोहिंग्या की घुसपैठ में सक्रियता बढ़ी है, खुफिया एजेंसियां सतर्क हो गई हैं।
पुलिस लगातार कर रही गिरफ्तारी
दरअसल, एटीएस ने इसी साल 6 जनवरी को संत कबीर नगर जिले के समर्थन गांव में बसे रोहिंग्या अजीजुल्लाह को गिरफ्तार किया था, जिसके बाद 28 फरवरी को अलीगढ़ के कमेला रोड पर रहे मोहम्मद फारुख और हसन को पकड़ा था, फिर फारुख के भाई शाहिद को 1 मार्च को उन्नाव से दबोचा गया। इसके साथ ही साथ अन्य तार जोड़ते हुए शाहिद के बहनोई जुबेर के बारे में भी जानकारी मिली, लेकिन वह एटीएस के हाथ नहीं लगा। इनके साथ ही 2 अवैध बांग्लादेशी भी गिरफ्तार हुए। ये सभी म्यांमार और बर्मा के निवासी थे।
पूछताछ में हुआ बड़ा खुलासा
इन सभी से पूछताछ में बांग्लादेशी रिश्तेदारों की बात सामने निकल कर आई थी और बताया जाता है कि यहां पर वो अपने रिश्तेदारों की मदद से रहने आए थे। जिसकी वजह से काफी संख्या में रोहिंग्या यहां आ गए हैं और स्थानीय निवासी बन गए हैं। काम-काज के लिए ये प्रदेश के बूचड़खाने में काम करते हैं। यहां पर ये मोटा पैसा कमाते हैं। इनसे पैसा कमाने के एवज में दलाल इनसे कमीशन लेते हैं और इनको इस काम के लिए लगातार लाते रहते हैं।
पीएफआई और रोहिंग्या के कनेक्श पर सुरक्षा एजेंसियों की नजर
खुफिया एजेंसियों की नजर अब पीएफआई और रोहिंग्या के कनेक्श पर भी है क्योंकि सीएए विरोधी प्रदर्शनों में पीएफआई ने अवैध रूप से भारत में घुसे रोहिंग्या मुसलमानों का इस्तेमाल किया था। ऐसे में विधानसभा चुनाव से पहले रोहिज्ञाओ की उत्तर प्रदेश की बढ़ती एक्टिविटी को देखते हुए एटीएस अलर्ट पर है और पकड़े गए रोहिग्याओं से पूछताछ कर आगे का एक्शन प्लान तैयार कर रही है।