नई दिल्ली: मायावती के मिजाज के चलते बसपा में एक बार फिर बगावत के आसार बढ़ रहे हैं। उनसे नाराज बसपाइयों ने इसकी पूरी तैयारी कर ली है। यदि कोई अप्रत्याशित राजनीतिक घटनाक्रम न हुआ, तो इसी 14 अप्रैल को आंबेडकर जयंती के दिन लखनऊ में असंतुष्ट बसपाइयों का एक बडा खेमा नये राजनीतिक मंच के गठन की घोषणा कर सकता है।
पार्टी के कई नेता पार्टी प्रमुख मायावती की इस दलील से असहमत हैं कि बसपा की ये दुर्गति ईवीएम मशीन में गड़बड़ी की वजह से हुई है। ऐसे नेता चाहते हैं कि विधान सभा चुनाव में मिली शर्मनाक हार की जिम्मेदारी तय की जाए। ये नेता सवाल पूछ रहे हैं कि चुनाव के नतीजे आने के एक महीने बाद भी अभी तक इस बाबत एक भी बदलाव क्यों नहीं किया गया है?
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सूत्रों के अनुसार, हाल ही में बसपा से त्यागपत्र दे चुके कमलाकांत गौतम और गंगाराम ने प्रदेश में बसपा का विकल्प खड़ा करने की पूरी तैयारी कर ली है। इन दोनों ने आगामी 13 अप्रैल को लखनऊ में राज्य स्तरीय एक सम्मेलन बुलाने का फैसला किया है। इस सम्मेलन में ‘मिशन सुरक्षा परिषद‘ नामक एक नया समूह बनाने की घोषणा की जायेगी। इसमें ऐसे सभी बसपाइयों को शामिल किया जायेगा, जो कांशीराम के समर्थक रहे हैं और उनके मिशन पर काम करना चाहते हैं।
बता दें साल 2012, 2014 और 2017 में लगातार तीन चुनावों में बसपा को मिली हार के बाद पार्टी के पुराने नेता मायावती के बहुजन के समीकरण को छोड़कर सर्वजन (खासकर ब्राह्मण) को पार्टी से जोड़ने की रणनीति पर भी सवाल उठा रहे हैं। बहुजन के तहत पार्टी मुख्यतः दलित, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और मुस्लिम वोटों पर निर्भर रहती थी। पार्टी की रणनीति की आलोचना करने वाले नेताओं के अनुसार मायावती ने ओबीसी को “पूरी तरह नजरअंदाज” कर दिया जो लंबे समय से पार्टी से जुड़े हुए थे।