रामपुर: रामपुर जिला प्रशासन ने कल मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय से 70 हेक्टेयर से अधिक भूमि वापस ले ली है। तहसीलदार प्रमोद कुमार ने कहा, "उच्च न्यायालय ने बेदखली की प्रक्रिया के खिलाफ अपील खारिज कर दी थी। आज हम यहां कब्जा लेने आए हैं।" बता दें कि विश्वविद्यालय की जमीन सरकार द्वारा अधिग्रहित किए जाने के खिलाफ समाजवादी पार्टी सांसद आजम खां की याचिका इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा खारिज किये जाने के बाद अब यह यूनिवर्सिटी खां के हाथ से छिन गई है।
जिलाधिकारी रवींद्र कुमार मांदड़ ने बुधवार को बताया था कि अदालत के पिछले सोमवार के निर्णय का अध्ययन किया जा रहा है उसी के अनुसार इस मामले में कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने बताया कि अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) की अदालत ने गत 16 जनवरी को जौहर ट्रस्ट की 70.005 हेक्टेयर जमीन, उसे देने के लिए लगाई गई शर्तें पूरी नहीं करने पर सरकार में निहित करने का आदेश दिया था। उन्होंने बताया कि उसके बाद ही जौहर विवि की जमीन को सरकार में निहित कर लिया गया था और अब उच्च न्यायालय के निर्णय का अध्ययन किया जा रहा है।
मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट को वर्ष 2005 में कुछ शर्तों पर इस विश्वविद्यालय का निर्माण करने के लिए जमीन दी गई थी और इन शर्तों का पालन नहीं करने के लिए राज्य सरकार ने जमीन अधिग्रहण की कार्यवाही शुरू की था। आजम खां ने इसे उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। रामपुर से सपा सांसद मोहम्मद आजम खां इस ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं, जबकि उनकी पत्नी डॉक्टर तजीन फातिमा ट्रस्ट की सचिव और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम खां इस ट्रस्ट के सक्रिय सदस्य हैं। उच्च न्यायालय के आदेश के बाद विश्वविद्यालय को अपने स्वामित्व में लेने की कानूनी अड़चनें भी दूर हो गई थी। ऐसे में आजम खां के हाथ से जौहर विश्वविद्यालय छिन गया है।
खां जौहर विश्वविद्यालय के आजीवन कुलाधिपति थे। जिला प्रशासन के आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक भाजपा नेता आकाश सक्सेना ने जौहर विवि की जमीन को लेकर शिकायतें की थीं। सूत्रों के अनुसार जांच की गई तो पता चला कि जौहर ट्रस्ट के नाम पर 2005 से लेकर अब तक 75.0563 हेक्टेयर जमीन खरीदी गई थी। सूत्रों के अनुसार मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व वाली सपा सरकार की कैबिनेट के फैसले में जौहर ट्रस्ट द्वारा खरीदने वाली जमीन पर शुल्क से छूट दी थी। सूत्रों के अनुसार ट्रस्ट के नाम पर जो 70.005 हेक्टेयर जमीन खरीदी गई उसके लिए स्टांप शुल्क का भुगतान नहीं किया।
सूत्रों के अनुसार कैबिनेट से जो प्रस्ताव पारित हुआ था उसमें शर्तें थीं कि ट्रस्ट की ओर से लोकहित से जुड़े कार्य कराने होंगे और अल्पसंख्यकों और गरीबों को नि:शुल्क शिक्षा देनी होगी लेकिन ऐसा नहीं किया गया। शर्तों के उल्लंघन के आरोप में अपर जिलाधिकारी (एडीएम) की अदालत में वाद दायर किया गया था जिस पर 16 जनवरी को जौहर ट्रस्ट की 70.005 हेक्टेयर जमीन सरकार में निहित करने का आदेश दिया गया था।