अयोध्या में भगवान राम का मंदिर 36 से 40 महीने में बनकर तैयार हो सकता है। मंदिर निर्माण में एक ग्राम भी लोहे का प्रयोग नहीं होगा। यह कहना है श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय का। मंदिर की आयु कम से कम एक हजार वर्ष होगी। उन्होंने बताया कि लार्सन एंड टूब्रो कंपनी, आईआईटी के इंजीनियरों की तकनीकी सहायता भी निर्माण कार्य में ली जा रही है। मंदिर स्थल से मिले अवशेषों के श्रद्धालु दर्शन कर सके, ऐसी व्यवस्था भी की जा रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसे हिंदुस्तान का खजाना बता चुके हैं। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बुधवार को विहिप मुख्यालय में प्रेस कांफ्रेंस कर बताया कि "मंदिर निर्माण में पत्थरों का उपयोग होगा। पत्थरों की आयु के हिसाब से ही मंदिर की एक हजार वर्ष आयु का आकलन किया गया है।
निर्माण कंपनी लार्सन एंड टूब्रो ने योग्यतम लोगों को अपने साथ जोड़ा है। मिट्टी की ताकत नापने के लिए कंपनी ने आईआईटी चेन्नई की सलाह ली है। 60 मीटर गहराई तक की मिट्टी की जांच हुई। भूकंप आएगा तो यहां की जमीन की मिट्टी उन तरंगों को कितना झेल पाएगी, इन सब की जांच हुई है।"
उन्होंने कहा कि "राम मंदिर के निर्माण में एक ग्राम भी लोहे का प्रयोग नहीं होगा। राम मंदिर का एरिया करीब तीन एकड़ का होगा। मंदिर निर्माण में 10,000 तांबे की पत्तियां व रॉड भी चाहिए। इसके लिए दानियों को आगे आने की जरूरत है।"
चंपत राय ने कहा कि, "सरकारी आंकड़ों के अनुसार हर साल दो करोड़ लोग अयोध्या दर्शन के लिए आते हैं। राम मंदिर बन जाने के बाद यह आंकड़ा काफी बढ़ जाएगा। इसलिए सरकार बस, रेल, हवाई जहाज आदि सुविधाओं के बारे में सोच रही है। हेलीकॉप्टर उतारने के लिए हवाई पट्टी भी बनेगी।"