नई दिल्ली: राम मंदिर निर्माण के लिए गठित श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की पहली बैठक 19 फरवरी को होगी जिसमें मंदिर निर्माण की तारीख पर विचार किया जाएगा। ट्रस्ट की इस पहली बैठक में आधारभूत संरचनाओं को मुहैया कराने पर विचार होगा। ट्रस्ट के सूत्रों ने बताया कि 2 अप्रैल से मंदिर निर्माण शुरू होने की संभावना बेहद कम है क्योंकि रामनवमी के दिन अयोध्या में 15 से 20 लाख लोग जमा होते हैं। उस दिन मंदिर निर्माण की प्रक्रिया शुरू करना कठिन होगा क्योंकि तीर्थ यात्रियों की भीड़ को नियंत्रित करना और राम जन्म भूमि की ओर जाने से रोकना प्रशासन के लिए बेहद कठिन चुनौती होगा। ट्रस्ट 2 अप्रैल के बजाय किसी और तिथि पर करेगा विचार।
राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट के सूत्रों का कहना है कि भले ही तारीख को लेकर चर्चाएं चल रही हैं लेकिन अभी तक ट्रस्ट ने कुछ भी तय नहीं किया है। तारीख तय करने के पहले ट्रस्ट के सामने कई सारी मुश्किलें और कठिनाइयां हैं, जिसको ट्रस्ट पहले दूर करेगा। 19 फरवरी को पहली बैठक में ट्रस्ट वहां के जमीन और मालिकाना हक के कानूनी प्रक्रिया को पूरी करने और कागजात हासिल करने और वहां की व्यवस्था को अपने हाथों में लेने की प्रक्रिया पर विचार करेगा। इसके बाद ट्रस्ट आर्किटेक्ट और तकनीकी लोगों की सहायता से काम को आगे बढ़ाएगा।
ट्रस्ट में शेष बचे हुए दो सदस्यों के चयन पर भी चर्चा होगी। कानूनी अड़चनों की वजह से महंत नृत्य गोपाल दास और विश्व हिंदू परिषद के उपाध्यक्ष चंपत राय को ट्रस्ट में शामिल करना मुश्किल है। इन दोनों पर बाबरी मस्जिद विध्वंस केस को लेकर मुकदमा दर्ज है। मोदी सरकार नहीं चाहती कि ट्रस्ट पर किसी प्रकार की उंगली उठे या कोई कानूनी मुश्किल आए।
विहिप के चंपत राय और नृत्य गोपाल दास को मंदिर निर्माण की कमेटियों में शामिल किया जा सकता है। यह ट्रस्ट मंदिर निर्माण के लिए कमिटी बनाएगा। ट्रस्ट के सूत्रों का कहना है 67 एकड़ भूमि का समतलीकरण करने, पुरातात्विक सर्वेक्षण द्वारा किए गए खुदाई को बराबर करने, गड्ढढों को भरने और लेआउट तैयार करने में बहुत समय लगेगा। सूत्रों ने यह भी कहा है कि पिछले 30 वर्षों से रामलला मन्दिर परिसर में किसी को भी जाने की इजाजत नहीं मिली है। लिहाजा वहां क्या स्थिति है, किसी को पता नहीं है। उसका जायजा लिए बगैर कोई भी तारीख तय करना मुमकिन नहीं है।
साथ ही सुरक्षा के कारणों से भी तुरंत मंदिर का निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सकता क्योंकि सुरक्षा एजेंसियों की इजाजत के बगैर वहां कुछ भी करना संभव नहीं है। मंदिर निर्माण शुरू करने के पहले रामलला विराजमान को किसी और स्थान पर रखना होगा और इसके लिए भी सुरक्षा एजेसियों से परमिशन लेनी पड़ेगी, इसमें भी थोड़ा वक्त लगेगा। ट्रस्ट की पहली बैठक में इन सब मुद्दों पर चर्चा होगी। प्रारंभिक दौर के सारे काम आर्किटेक्ट और इंजीनियरिंग से जुड़े लोगों का है। जब तक आर्किटेक्ट और टेक्निकल लोगों के सुझाव और सर्वे नहीं आ जाते तब तक मंदिर निर्माण की तिथि तय करना मुश्किल होगा।