अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण एक बार फिर से चर्चा में है। यह मामला फिलहाल देश की सर्वोच्च अदालत में है। कुछ लोग जहां सरकार से अदालत के फैसले का इंतजार करने को कह रहे हैं, वहीं एक धड़ा ऑर्डिनेंस के माध्यम से राम मंदिर के निर्माण के लिए दबाव डाल रहा है। ऐसे में राम मंदिर कब से बनना शुरू होगा यह तो कहा नहीं जा सकता। लेकिन इंडिया टीवी के पास प्रस्तावित राम मंदिर की कुछ खास तस्वीरें हैं। अयोध्या के कारसेवकपुरम में राम जन्मभूमि न्यास द्वारा संचालित कार्यशाला में एक शीशे के बॉक्स के अंदर 'प्रस्तावित राम मंदिर' का लकड़ी का मॉडल रखा हुआ है।
कैसा दिखेगा अयोध्या का राम मंदिर?
- इंडिया टीवी को राम मंदिर के जिस मॉडल की तस्वीरें मिली हैं, वह लकड़ी से तैयार एक मॉडल है। इस मॉडल के अनुसार, प्रत्येक खंबे पर 16 तस्वीरें उकेरी जाएंगी।
- मंदिर के निचले तल पर खंबो की ऊंचाई 16.6 फीट होगी। इन खंबो के ऊपर 3 फीट मोटी पत्थर की बीम होगी। इन बीम पर करीब 1 फुट मोटी छत होगी।
- पहली मंजिल के खंबे 14.5 फीट ऊंचे होंगे। मंदिर की दीवारें 6 फीट मोटे पत्थर से बनाई जाएंगी।
- राम मंदिर निर्माण से जुड़ी पूरी निर्माण सामिग्री अयोध्या में उपलब्ध है।
- मंदिर के लिए ईंटें पूरे देश से लाई गई हैं। पत्थरों को तराशने का काम जारी है। 50 प्रतिशत काम पूरा हो गया है। मंदिर के पहले तल के लिए निर्माण तैयारी पूरी कर ली गई है। सभी ईंटों पर भगवान राम का नाम उभरा हुआ है।
कार्यशाला में 1990 से मंदिर निर्माण के लिए कार्य चल रहा है। लेकिन, अब यहां चल रहे काम की रफ्तार धीमी पड़ने लगी है। इसका कारण कार्यशाला के कोष में आई कमी और कारीगरों/शिल्पकारों की संख्या घटना है।
राम जन्मभूमि न्यास द्वारा कारसेवकमपुरम में संचालित इस कार्यशाला में देश के कई हिस्सों से श्रद्धालु आते हैं और यहां चल रहे काम को देखते हैं. कार्यशाला के प्रभारी अन्नू भाई सोमपुरा ने बताया कि योजना के मुताबिक, प्रस्तावित राम मंदिर 268 फीट लंबा, 140 फीट चौड़ा और 128 फीट ऊंचा होगा.
सोमपुरा ने कहा कि कार्यशाला में पत्थरों की नक्काशी का काम 50 फीसदी पूरा हो गया है, जिससे मंदिर की पहली मंजिल पूरी बनाई जा सकती है. उन्होंने कहा कि ‘हमें उम्मीद है कि अयोध्या भूमि मालिकाना हक मामले में सुप्रीम कोर्ट से उनके हक में फैसला आएगा। और, एक बार हरी झंडी मिलते ही आधारशिला रखने का काम शुरू कर दिया जाएगा।
उन्होंने बताया कि 'मंदिर के सभी फ्लोर्स पर 106 खंभे होंगे और हर खंभे पर 16 मूर्तियां लगी होंगी।’ उन्होंने बताया कि ‘कारीगरों ने इसके लिए नक्काशी का काम पूरा कर लिया है। मंदिर के लिए चलाया जा रहा ये पूरा काम श्रद्धालुओं के ‘व्यक्तिगत दान’ से चल रहा है.' हालांकि, उन्होंने कहा कि ‘पहले जितना धन आता था, अब उतना नहीं आ रहा है।’
सोमपुरा से जब ये पूछा गया कि कार्यशाला में फिलहाल कितने लोग काम कर रहे हैं तो उन्होंने बताया कि ‘लगभग दो शिल्पकार और कुछ मजदूर हैं।’ उन्होंने कहा कि यहां काम करने वालों की संख्या कम हो गई है, इनमें से कुछ लोगों ने दूसरा काम पकड़ लिया है। 1990 में यहां करीब 150 लोग काम करते थे।