लखनऊ। आल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के वरिष्ठ सदस्य मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने अयोध्या मसले पर उच्चतम न्यायालय का फैसला जल्द आने की सम्भावना के मद्देनजर तमाम मस्जिदों के इमामों से अपील की है कि वे मुसलमानों को मुल्क के संविधान और न्यायपालिका पर पूरा भरोसा करने और साम्प्रदायिक भाईचारे पर आंच न आने देने की हिदायत दें।
मौलाना खालिद ने शुक्रवार को जारी बयान में कहा, ''जैसा मीडिया की रिपोर्टों से इस बात का अंदाजा लग रहा है कि अयोध्या मसले पर उच्चतम न्यायालय का अंतिम फैसला जल्द ही आने वाला है। आप तमाम लोग इससे बखूबी वाकिफ हैं कि अयोध्या का यह मसला आजाद हिन्दुस्तान का सबसे बड़ा और संवेदनशील मसला है, जिस पर न सिर्फ पूरे मुल्क की बल्कि अंतरर्राष्ट्रीय समुदाय की भी निगाहें लगी हुई हैं। लिहाजा हर नागरिक की यह जिम्मेदारी है कि अदालत का जो भी फैसला आये उसका सम्मान करे और हर हाल में अमन कायम रखे।''
उन्होंने कहा, ''मेरी तमाम मस्जिदों के जिम्मेदारों और इमामों से अपील है कि जुमे की नमाज से पहले अपने खुतबों और तकरीरों में अवाम से इस सिलसिले में अपील करें कि मुसलमानों को खौफजदा होने या डरने की जरूरत नहीं है, बल्कि वे मुल्क के संविधान और न्यायपालिका पर पूरी तरीके से विश्वास करें और जो भी फैसला आये, उसका हम एहतराम करें।''
जामा मस्जिद ईदगाह के शाही इमाम मौलाना खालिद ने कहा कि मस्जिदों के इमाम अपनी तकरीरों में मुसलमानों से यह भी अपील करें कि वे फैसला आने के बाद न किसी किस्म का जश्न मनाएं, न नारेबाजी करें और न ही कोई विरोध प्रदर्शन करें। साथ ही किसी के मजहबी जज्बात को ठेस पहुंचाने वाली कोई बात करें। साथ ही अपने मुल्क की कौमी एकता, गंगा-जमुनी तहजीब और साम्प्रदायिक सौहार्द पर कोई भी आंच न आने दें। मालूम हो कि उच्चतम न्यायालय में अयोध्या मसले की सुनवाई पूरी हो चुकी है और माना जा रहा है कि 17 नवम्बर को वर्तमान प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई के सेवानिवृत्त होने से पहले ही फैसला सुना दिया जाएगा।