कौमी एकता दल का BSP में विलय, मुख्तार परिवार को मिले तीन टिकट
कौमी एकता दल का BSP में विलय, मुख्तार परिवार को मिले तीन टिकट
समाजवादी पार्टी (SP) से विधानसभा चुनाव टिकट की नाउम्मीदी के बाद माफिया-राजनेता मुख्तार अंसारी के कौमी एकता दल का आज बहुजन समाज पार्टी (BSP) में विलय हो गया। बदले में कौमी एकता दल को चुनाव के तीन टिकट मिल गये।
लखनऊ: समाजवादी पार्टी (SP) से विधानसभा चुनाव टिकट की नाउम्मीदी के बाद माफिया-राजनेता मुख्तार अंसारी के कौमी एकता दल का आज बहुजन समाज पार्टी (BSP) में विलय हो गया। बदले में कौमी एकता दल को चुनाव के तीन टिकट मिल गये।
BSP मुखिया मायावती ने कौमी एकता दल अध्यक्ष अफजाल अंसारी के साथ शाम को आयोजित संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कौमी एकता दल का बसपा में बिना शर्त विलय कर लिया गया है। उन्होंने कहा कि अंसारी परिवार के खिलाफ किसी के पास कोई सुबूत नहीं है, इसीलिये उनकी पार्टी का बसपा में विलय किया गया है।
मायावती ने कहा कि मऊ से मौजूदा विधायक मुख्तार अंसारी को इसी सीट से, मुख्तार के बेटे अब्बास अंसारी को घोसी सीट से तथा उनके भाई सिबगतउल्ला अंसारी को मुहम्मदाबाद यूसुफपुर सीट से बसपा का टिकट दिया गया है।
मायावती ने अंसारी परिवार का बचाव करते हुए कहा कि राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों ने छवि खराब करने के लिये इस खानदान के लोगों को फर्जी मुकदमों में फंसाया है। उन्होंने कहा अंसारी बंधु पूर्व में भी BSP के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं लेकिन सपा के दबाव में उन्होंने यह पार्टी ोड़ दी थी।
मायावती ने जेल में बंद विधायक मुख्तार अंसारी का बचाव करते हुए कहा कि उनका नाम भाजपा विधायक कृष्णानन्द राय हत्याकांड मामले में आया था, जिसकी सीबीआई जांच हो रही है। इस मामले में सीबीआई के पास उनके खिलाफ कोई सुबूत नहीं है।
पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कहा कि बसपा ना सिर्फ एक राजनीतिक पार्टी है बल्कि एक सामाजिक क्रांति भी है। वह चाहती हैं कि जिन लोगों ने गलत रास्ता पकड़ लिया और खराब लोगों के साथ हो लिये, उन्हें भी मुख्यधारा में लाया जाए।
कौमी एकता दल के अध्यक्ष अफजाल अंसारी ने इस मौके पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को मुस्लिम विरोधी और धोखेबाज करार देते हुए कहा कि उन्होंने सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव और तत्कालीन सपा प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव पर भरोसा करके कौमी एकता दल का सपा में बिना शर्त विलय किया था।
उन्होंने कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव में जनता गाजीपुर से गाजियाबाद तक न्याय करेगी। वह चौकीदार की हैसियत से बसपा की सेवा करेंगे। अब अगर भाजपा को रोकने वाला कोई है तो वह सिर्फ मायावती ही हैं।
मालूम हो कि पिले साल 21 जून को कौएद का सपा में विलय किया गया था। माफिया मुख्तार अंसारी की मौजूदगी वाली इस पार्टी को सपा में शामिल किया जाने का मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पुरजोर विरोध किया था, नतीजतन 25 जून को सपा संसदीय बोर्ड ने इस विलय को रद्द कर दिया था।
बहरहाल, कुछ वक्त बाद 15 अगस्त को सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने कौमी एकता दल के विलय को बहाल कर दिया था। अखिलेश के सपा अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने कौमी एकता दल को एक भी टिकट नहीं दिया था। कौमी एकता दल का पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में खासा प्रभाव माना जाता है।
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