नई दिल्ली। कानपुर के कुख्यात अपराधी और बिकरू गांव में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के मामले का मुख्य आरोपी विकास दुबे की मुठभेड़ में मौत के मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है। हालांकि याचिका गुरुवार देर रात दायर की गई है, जिसमें विकास दुबे का भी एनकाउंटर किए जाने की आशंका जाहिर की गई थी। एक वकील घनश्याम उपाध्याय ने यह याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता आज ही सुनवाई की मांग कर सकते हैं। याचिका में कहा गया है कि मीडिया रिपोर्ट से लग रहा है कि विकास दुबे ने उज्जैन के महाकाल मंदिर में गार्ड को खुद ही अपनी जानकारी दी थी।
इस याचिका में यूपी पुलिस की भूमिका की जांच की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि विकास दुबे ने मध्य प्रदेश पुलिस को खुद ही गिरफ्तारी दी ताकि मुठभेड़ से बच सके। याचिका में आशंका जताई गई थी कि यूपी पुलिस विकास का एनकाउंटर कर सकती है। याचिका में मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में सीबीआई से कराने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि दुबे का घर, शापिंग मॉल व गाडि़यां तोड़ने पर यूपी पुलिस के खिलाफ एफआईआर दर्ज होनी चाहिए। मामले की जांच के लिए समय-सीमा तय की जानी चाहिए। ये सुनिश्चित किया जाए की कि पुलिस विकास दुबे का एनकाउंटर ना कर सके और उसकी जान बचाई जा सके।
उल्लेखनीय है कि शुक्रवार सुबह कानपुर के भौती इलाके में पुलिस मुठभेड़ मे मारा गया। पुलिस अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी। कानपुर के एडीजी जेएन सिंह ने बताया कि पुलिस और एसटीएफ की गाड़ियां विकास को उज्जैन से ला आ रही थी, तभी अचानक एक गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हो गई। उसमें बैठे विकास दुबे ने भागने की कोशिश की, जिसके बाद पुलिस मुठभेड़ हुई और वह मारा गया।
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मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी कहा है कि जिसका शक था वह हो गया। विकास दुबे का किन-किन राजनैतिक लोगों से, पुलिस व अन्य शासकीय अधिकारियों से उसका संपर्क था, अब उजागर नहीं हो पाएगा। पिछले 3-4 दिनों में विकास दुबे के 2 अन्य साथियों का भी एनकाउंटर हुआ है लेकिन तीनों एनकाउंटर का पैटर्न एक समान क्यों है?